Kota News: कोटा (Kota) में नेत्रदान, रक्तदान के साथ-साथ अंगदान और देहदान के क्षेत्र में भी काम हो रहा है. देहदान के क्षेत्र में आज भी प्राचीनकाल के समान ही भ्रांतियां हैं, जिस कारण देहदान करने वालों की संख्या बेहद ही कम हैं. लोग अपने परिवार के सदस्य की मृत्यु हो जाने पर मृत व्यक्ति के नेत्रदान में ही काफी व्यवधान उत्पन्न करते हैं. वहीं जब देहदान की बात होती है तो पूरा परिवार ही मना कर देता है.


ऐसे में ये बड़ी चुनौती है कि मेडिकल कॉलेज तक आखिर डेडबॉडी पहुंचेगी कैसे, लेकिन फिर भी संभाग की एकमात्र स्वयंसेवी संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन ने हाड़ौती संभाग में संस्था के द्वारा अब तक देहदान करने वाली पुण्यात्माओं के सम्मान में जवाहर नगर, कोटा स्थित देहदानियों को समर्पित वॉल ऑफ इंटर्नल सोल को तैयार किया है. यह राजस्थान की पहली ऐसी दीवार है जो देहदानियों के सम्मान में तैयार की गई है. ये संस्था पिछले 11 वर्षों से अनवरत कार्य करते हुए 950 पुण्यात्माओं के नेत्रदान प्राप्त कर चुकी है. 


अब तक करवा चुकुी है 20 देहदान 
वहीं देहदान के क्षेत्र में भी पिछले 3 वर्षों में 20 पुण्य-आत्माओं के देहदान हाड़ौती संभाग और देश के अन्य राज्यों के मेडिकल कॉलेज में सम्पन्न हुए हैं. इसके साथ ही 200 से अधिक शहरवासियों ने देहदान का संकल्प पत्र संस्था के साथ भरा हुआ है. वॉल ऑफ इंटर्नल सोल का अनावरण करते हुए समाजसेवी ताराचंद गोयल ने कहा कि अंत समय में देहदान जैसा पुण्य कार्य मनुष्य को मोक्ष दिलाता है. संस्था अध्यक्ष डॉ. कुलवंत गौड़ और संस्था सदस्यों ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज के शरीर रचना विभाग में देहदान करने वाले देहदानियों के नाम लिखे जाने चाहिए. 


सभी मेडिकल कॉलेज में देहदान करने वालों के लिखे जाएं नाम
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शहर के चिकित्सकों को भी स्वयं का देहदान पत्र भरना चाहिए. इससे वह स्वयं इस कार्य के लिए उदाहरण बनकर दूसरों को देहदान के लिए प्रेरित करें. डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि कार्यालय में ही इस तरह की दीवार का अनावरण करवाने के पीछे कारण यह था कि, संस्था सदस्यों ने लक्ष्य लिया है कि वर्ष 2025 तक कोटा संभाग से 100 देहदान हो सकें. कार्यालय में पुण्य देहदानियों के नाम प्रतिदिन हमें हमारे लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करेंगे. 


परिवार के राजी होने पर ही भरते हैं संकल्प पत्र
वर्तमान में संस्था के सदस्य घर जाकर संकल्प पत्र भरने वाले के सभी परिजनों को एक जगह बिठाकर देहदान के प्रति जागरुक करते हैं. उसके बाद परिवार के सभी सदस्यों के बीच ही देहदान का संकल्प पत्र भरा जाता है. इस तरह से कार्य करने से जब भी कभी शोक का समय आता है, तो कोई ना कोई एक परिजन इस पुण्य कार्य के संकल्प की याद दिलाकर देहदान का कार्य संपन्न करवाता है. 


वॉल ऑफ इंटर्नल सोल में उन सभी 20 देहदानियों के नाम अंकित किए गए हैं, जिनका देहदान संस्था के माध्यम से हुआ है. वैसे अब तक मेडिकल कॉलेज कोटा में 40 के करीब देह (मृत शरीर) प्राप्त किए जा चुके हैं, जो मेडिकल स्टूडेंट के लिए रिसर्च और पढाई में काम आ रहे हैं.


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