Kota News Today: राजस्थान के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कोटा मेडिकल कॉलेज में फैली अव्यवस्थाओं पर गहरी नाराजगी जाहिर की है.


उन्होंने कुछ दिन पहले मेडिकल कॉलेज अस्पताल का निरीक्षण किया था, वहां एक मरीज फर्श पर नजर आया तो उन्होंने उसे भर्ती कराया. इस दौरान उन्होंने कई अव्यवस्थाओं पर नाराजगी जाहिर की थी.


मेडिकल कॉलेज से संबद्ध नवीन चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं को लेकर ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने अब चिकित्सा सचिव को पत्र लिखा है.


पिछले दिनों मंत्री  हीरालाल नागर ने चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया था, मौके पर पहुंचे हीरालाल नागर अस्पताल की व्यवस्थाओं में कई गंभीर खामियां नजर आई थी. जिसकी रिपोर्ट चिकित्सा मंत्री को भी भेजी गई है. 


ऊर्जा मंत्री ने सचिव को लिखा पत्र
मंत्री नागर ने सचिव को निर्देशित करते हुए कहा कि आमजन को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए सभी आवश्यक कार्य किए जाएं.


नवीन चिकित्सालय कोटा सहित अन्य मेडिकल कॉलेजों से प्राप्त शिकायतों की जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया जाए.


इन अस्पतालों में बिना सूचना के निरीक्षण किया जाना सुनिश्चित करें. भीषण गर्मी से बचाव के व्यापक उपाय किए जाएं, जिससे चिकित्सा व्यवस्थाओं को प्रभावी बनाया जा सके. 


'सीनियर डॉक्टर अस्पताल से नदारद'
ऊर्जा मंत्री ने पत्र में कहा कि 7 मई को किए गए औचक निरीक्षण के दौरान आउटडोर विभाग में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर मौके पर नहीं मिले. रेजिडेन्ट डॉक्टर्स के भरोसे अस्पताल चल रहा था. 


प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के आउटडोर वार्ड में नहीं बैठने की वजह से मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा व्यवस्था का लाभ नहीं मिल पा रहा था. प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर द्वारा घर पर ही मरीजों को देखने की शिकायतें मिली हैं.


एमआरआई और सोनोग्राफी के लिए लंबी वेटिंग
कैबिनेट मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि अस्पताल में जगह जगह प्लास्टर उखड़ रहा है. चिकित्सालय में अधिकतर एसी, कूलर खराब पड़े हैं. गर्मी के मौसम में भी इनकी मरम्मत नहीं कराई गई है. मरीज फर्श पर लेटे हुए मिले. 


इनडोर वार्डों में बाथरुम टपके हुए पाए गए. अस्पताल की सफाई व्यवस्था ठीक नहीं थी. मरीजों को एमआरआई के लिए 30 दिन और सोनोग्राफी के लिए 15 दिन की वेटिंग दी जा रही थी.


'सीसीटीवी से हो डॉक्टरों की निगरानी' 
ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि आमतौर पर देखा गया है कि कोटा सहित प्रदेश के कई मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर आउटडोर में नहीं बैठते हैं. ऐसे में आउटडोर वार्ड में ऑनलाईन कैमरे लगाकर मॉनिटरिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए.


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