Kota Blanket Fund News: कोटा बूंदी संसदीय क्षेत्र में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा कई प्रकल्प चलाए जाते हैं, जिसमें कंबल निधि सबसे प्रमुख है, जिसमें सर्दी में अस्पताल में आने वाले लोगों को निशुल्क प्रतिदिन बिना किराए के कंबल व रजाई उपलब्ध कराई जाती है. ये ही नहीं उनकी हर संभव मदद भी की जाती है. उपचार की पूरी व्यवस्था की जाती है. लोकसभा अध्यक्ष ने 16 साल पहले इस प्रकल्प को शुरू किया था जो आज भी जारी है. ऐसे ही एक प्रकल्प की शुरुआत उनके भाई हरिकृष्ण बिरला ने मेडिकल कॉलेज में की.  


लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कंबल निधि शुरू करने के पीछे एक कहानी है, जिसमें उनके मन को एक व्यक्ति के शब्दों ने झकझोर दिया. वर्ष 2007 की सर्दी की एक रात में एक अस्पताल के बाहर ओम बिरला ने ग्रामीण क्षेत्र के एक व्यक्ति को नई रजाई ले जाते देखा. पूछने पर उसने बताया कि वह रजाई किराए पर लाया है. रजाई का किराया तो कम है लेकिन अमानत राशि बहुत अधिक है. इस कारण एक रजाई में वे तीन व्यक्ति गुजारा करेंगे. इसको देखते हुए ओम बिरला ने अस्पताल के बाहर रात बिताने वाले मरीजों के परिजनों के लिए "कम्बल निधि" प्रकल्प प्रारंभ किया, जिसमें उन्हें कम्बल और रजाई नि:शुल्क उपलब्ध करवाए जाते हैं. यह प्रकल्प कोटा और बूंदी के सभी प्रमुख राजकीय अस्पतालों में निरंतर चल रहा है.


कई लोगों ने की कम्बल निधि की शुरूआत
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर क्षेत्र में डेढ़ दशक से संचालित सामाजिक प्रकल्प नि:शुल्क कम्बल निधि सेवा की शुरूआत सर्दी के मौसम में की गई. शहर के दोनों बड़े चिकित्सालय मेडिकल कॉलेज व एमबीएस में अब प्रतिदिन यह सुविधा शुरु कर दी है. उपभोक्ता भंडार चेयरमैन हरिकृष्ण बिरला व मंडी एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश राठी ने तीमारदारों को कम्बल भेंट कर प्रकल्प की विधिवत शुरुआत की. अस्पतालों में मरीजों की देखरेख के लिए आने वाले तीमारदारों को राहत मिलेगी, साथ ही कम्बल-रजाई के लिए लगने वाले किराए से भी राहत मिलेगी.


ना किराया, ना अमानत और ना ही जमानत
उपभोक्ता भंडार चेयरमैन हरिकृष्ण बिरला ने कहा कि मेडिकल कॉलेज और एमबीएस में हजारों लोग विशेषतौर पर ग्रामीण अंचल से अपने परिजनों को उपचार के लिए आते हैं, धन के अभाव में ठहरने की व्यवस्था नहीं होने से दूर दराज से आने वाले तीमारदारों को दिक्कत उठानी पड़ती है, खूले आसमान में सोने के लिए मजबूर होना पड़ता है. ऐसे लोगों को नि:शुल्क कम्बल निधि के माध्यम से कंबल व रजाई उपलब्ध कराई जाती है. अस्पताल प्रशासन के सहयोग से पूरे सर्दी के मौसम में इसका संचालन किया जाता है. ना ही किसी से किराया लिया जाता है, ना ही किसी से अमानत राशि ली जाती है और ना ही किसी से जमानत ली जाती है, अस्पताल प्रशासन व बाहर स्वयं सेवी कार्यकर्ता इस कार्य में मदद करते हैं. इसके साथ ही रात के अंधेरे में एक गाड़ी निकलती है और वह सर्दी से ठिठुर रहे लोगों को कंबल बांटती हुई चली जाती है.


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