Rajasthan News: भारत में जैसे ही सर्दी शुरू होती है वैसे ही विदेशी पक्षियों (Migratory Bird) का आना भी शुरू हो जाता है. यह ही नहीं वह यहां करीब पांच माह तक रहते हैं और जैसे ही टेम्परेचर बढ़ने लगता है वापस अपने देश में लौट जाते हैं. कुछ पक्षी तो ऐसे हैं, जो सदा के लिए कोटा संभाग अर्थात हाडौती के होकर रह गए. उनकी यहां सैकडों बस्तियां बस गईं हैं. नदी, तालाब, जलाशय में उन्होंने अपना स्थाई डेरा बसा लिया है. नेचर प्रमोटर ए एच जैदी बताते हैं कि इन दिनों देशी और विदेशी पक्षियों का कोटा आना शुरू हो गया है. हालांकि अभी इनकी संख्या कम हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड में इनका बसेरा देखने को मिलेगा.


25 साल बाद वापस राजपुरा आए ये पक्षी 
जैदी ने बताया कि शहर से 20 किलोमीटर दूर राजपुरा के तालाब में जांघिल, पेंटेड स्ट्रॉक पक्षियों ने डेरा डाला है. दीगोद तहसील के उदपुरिया में जांघिल कॉलोनी बनाते थे, लेकिन वहां इस बार ऐसा नजारा नहीं है. नेचर प्रमोटर एएच जैदी ने बताया कि करीब 25 साल बाद वापस ये पक्षी राजपुरा आए हैं. 300 घोंसलों में 700 जांघिल पक्षी और चूजे देखे जा सकते हैं. 


वहीं कोटा के अलग-अलग क्षेत्रों में कोमन कूट, सुरखाब, नार्दन पावलर सरीखे कई पक्षी यहां आए हैं. ये पक्षी यूरोप, चाइना, साइबेरिया और लद्दाख से यहां आते हैं. यहां पानी की भरपूर मात्रा, तालाब, चम्बल, जंगल और कीट पतंगों की भरमार होने से उन्हें ये क्षेत्र रास आता है. ये पक्षी नवम्बर में आना शुरू होते हैं और करीब 15 मार्च तक यहां देखे जाते हैं, उसके बाद जैसे ही टेम्परेचर 35 डिग्री से ऊपर हो जाता है वह यहां से जाना शुरू हो जाते हैं.


कई पक्षियों ने दिए अंडे, निकल आए चूजे
कोटा और आसपास के क्षेत्र में पूरे साल पानी रहता है. राजपुरा के लोग बताते हैं कि किशनपुरा-बालापुरा लिफ्ट की वजह से राजपुरा तालाब में सालभर पानी रहता है. दो बीघा में फैले तालाब में बबूल पर घोंसले बना लेते हैं. भरपूर आहार मिल जाता है. अक्टूबर में इन पक्षियों ने अंडे दिए थे जिनसे अब चूजे निकल आए हैं. यहां जन्मे पेंटेड स्टोर्क हाडौती में ही नहीं आसपास के जिलों में भी प्रजनन कर रहे हैं. 


इस समय कोटा का राजपुरा इनकी सबसे बड़ी कॉलोनी के रुप में उभरा है. अभी उदपुरिया गोदलिया हेड़ी और राजपुरा में इनकी कॉलोनियां बनी हैं. अब इनके बच्चे बड़े हो गए हैं और उड़ान भरने की प्रैक्टिस कर रहे हैं. बड़े होने के बाद उनका रंग घुसर हो जाता है. तीन सप्ताह तक रंग सफेद  रहता है. उस समय ये बच्चे बहुत खूब सूरत लगते हैं. इन्हें देखने के लिए अब पशु पक्षी प्रेमी यहां पहुंच रहे हैं और फोटोग्राफी का आनंद ले रहे हैं.


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