Kota Alumni Meet 2024: कोटा में दो दिवसीय एलुमनी मीट समानयन में शामिल होने के लिए देश विदेश से पूर्व छात्र पहुंचे हैं. इसी क्रम में केंद्रीय गृह मंत्रालय नई दिल्ली के संयुक्त सचिव वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ विक्रांत पांडे एलुमनी मीट समानयन में भाग लेने के लिए कोटा पहुंचे. 


इस मौके पर संयुक्त सचिव डॉ विक्रांत पांडे ने स्टूडेंट्स से कहा कि यहां का कोचिंग सिस्टम आपको अपनी छिपी हुई क्षमता को पहचानने की ताकत देता है. यह आप पर निर्भर है प्रेशर में कितने निखर कर आप बाहर आते हैं.


केंद्रीय सचिव ने स्टूडेंट्स को किया मोटिवेट
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ विक्रांत पांडे ने कहा कि मैंने झालावाड़ जिले के बकानी कस्बे में हिंदी माध्यम से स्कूली पढाई की. शिक्षक पिता ने कहा कि मैं डॉक्टर नहीं बन सका, तुम कोशिश करो. उनके संस्कारों से प्ररेणा लेते हुए मैंने 1996 में कोटा आकर पीएमटी की तैयारी शुरू की. उन्होंने कहा कि गांव से शहर में आकर अकेले किराये के कमरे में रहकर पढ़ाई की. 


शिक्षकों के महत्व को लेकर डॉ विक्रांत पांडे ने कहा कि कोटा में शिक्षकों ने मनोबल बहुत बढाया. पहले प्रयास में ही चयन हो गया. उदयपुर से एमबीबीएस करते हुए आईएएस बनने का सपना देखा. पहले प्रयास में इंटरव्यू में सफल नहीं हुआ, लेकिन कोटा कोचिंग की बदलौत हार नहीं मानी और दूसरे प्रयास में यूपीएससी में अच्छी रैंक के साथ सेलेक्शन हो गया. गत 19 सालों से सिविल सेवा में रहते हुए बलसाड, भरूच और अहमदाबाद में जिला कलेक्टर रहा. इन दिनों गृह मंत्रालय, नई दिल्ली में सेवारत हूं.


'कोचिंग स्टूडेंट्स में पैदा करता है आत्मविश्वास' 
एक सवाल के जवाब में डॉ. विक्रांत पांडे ने कहा कि हमारा पूरा जीवन एक कंपटीशन है. हर मुकाम पर लाइनें लंबी मिलेंगी, आप चट्टान की तरह खड़े रहो, यह मानकर चलें कि मेरी सीट तो फिक्स है. मुझे 100 फीसदी मेहनत करना है. मैंने 2005 में यूपीएससी का एग्जाम दिया, तब 50 आईएएस के लिए 11 लाख परीक्षार्थी थे.


उन्होंने कहा कि जज्बा ऐसा हो कि मैदान में रोकने वाले कितने भी खिलाड़ी हों, आपको अपनी गेंद बाउंड्री के बाहर ही भेजना है. कोचिंग सिस्टम आपकी राह में वेलवेट नहीं बिछाता है, दबाव या दर्द सहने की ताकत पैदा करता है. उन्होंने कहा कि कोचिंग स्टूडेंट्स को भीतर से बहुत मजबूत बना देता है. आईएएस इंटरव्यू में भी कोटा कोचिंग से मिला आत्मविश्वास ही काम आया.


'बच्चों की दूसरों से तुलना न करें पैरेंट्स'
वरिष्ठ आईएएस डॉ. विक्रांत पांडे ने माता-पिता को सलाह दी कि वे बच्चों से आशा रखें लेकिन अति महत्वाकांक्षी नहीं बनें. अपने बच्चों को प्रतिस्पर्धा में आगे निकलने के लिए अलख जगाओ. कोचिंग शिक्षक उत्प्रेरक का कार्य करेंगे, आप कूलेंट बनकर शांत रहो. जो आप नहीं कर पाये, उसकी अपेक्षा बच्चे से नहीं करें. 


पैरेंट्स को सलाह देते हुए विक्रांत पांडे ने कहा कि बच्चे की मानसिकता को भांप लें, हर बात पर उसे दाद देते हुये कहें कि अगली बार इससे भी अच्छा होगा. किसी अन्य से तुलना कभी मत करें, पढ़ाई के दौरान कई टेस्ट होंगे, हमें गोल पर नजरें टिकानी हैं. परीक्षाएं मौज-मस्ती नहीं है, स्वाध्याय और मेडिटेशन है. परीक्षा के बाद बच्चे से मार्क्स पर चर्चा नही करें. उससे संवाद कर भावनात्मक लगाव महसूस कराएं.  


'बदलें पढ़ाई का तरीका'
एक सवाल के जवाब में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. पांडे ने कहा कि हम स्कूली पढ़ाई में जो थ्योरी पढ़ते हैं, उसका तरीका प्रवेश परीक्षाओं में बदल जाता है. स्कूल में नंबर आ जाते हैं, लेकिन कांसेप्ट क्लियर नहीं होते हैं. कोचिंग में थ्योरी के चैप्टर के कांसेप्ट को समझाते हैं. प्रश्नों का एनालिसिस करना सिखाते हैं. इससे सोचने की सही क्षमता आ जाती है. थ्योरी के प्रत्येक चेप्टर से 100 प्रश्न हल करने की प्रेक्टिस करने पर पढाई करने का तरीका ही बदल जाता है. 


उन्होंने कहा कि तेजी से प्रश्न हल करने का स्किल कोचिंग से ही मिलती है. हर शिक्षक थ्योरी चैप्टर को प्रवेश परीक्षाओं से जोड़कर पढाते हैं. यह आप पर निर्भर है कि प्रेशर से कितना खिलकर बाहर आते हैं. कोचिंग सिस्टम आपको दौडने का रास्ता दिखाता है, राह में कंसेप्ट क्लियर कर पत्थर हटाता है तो कठिन प्रश्न देकर पत्थर डालता भी है. जिससे आप कंपटीशन की बाधाओं को पार कर लक्ष्य को पा सकें.


'टार्गेट के आगे भूल जाएं स्मार्ट फोन-सोशल मीडिया'
आज दुनियाभर में कोटा कोचिंग की अलग पहचान है. यहां के शिक्षक बच्चों के साथ कड़ी मेहनत कर उन्हें लक्ष्मण रेखा से बाहर निकालते हैं. बच्चे खुद का विश्लेषण करें. ओवर थिंकिग और सोशल प्रेशर से खुद को दूर रखें. जल्दी किसी सफलता की उम्मीद न करें. कोटा कोचिंग में ग्रुप पेयर आपको पढ़ने का माहौल देता है. 


स्टूडेंट्स को संबोधित को करते हुए कहा कि टाइम मैनेजमेंट, कांसेप्ट समझने, समर्पित होकर पढ़ाई करने से आप खुद को अपग्रेड करना सीख जाएंगे. कोटा कोचिंग का स्वस्थ वातावरण आपको कंफर्ट जोन से बाहर निकालने में सक्षम है. इसलिए अपने टारगेट के आगे 1 या 2 साल सोशल मीडिया और स्मार्ट फोन को भूल जाएं.


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