Krishi ATM in Jodhpur: किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन आने वाले जोधपुर के केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) के डायरेक्टर ओपी यादव के नेतृत्व में एक खास तकनीक ईजाद की गई है. किसानों और उनके मवेशियों के लिए ये तकनीक काफी महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित हो रही है. किसानों के लिए ये खास तकनीक ईजाद करने वाले वैज्ञानिक डॉक्टर एसपीएस तंवर ने इस तकनीक को 'कृषि का एटीएम' नाम दिया है. 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसानों की आय को दुगना करने के क्षेत्र में किए गए प्रयासों में काजरी की यह खास तकनीक काफी सार्थक साबित हो सकती है. वहीं प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर एसपीएस तंवर एबीपी न्यूज से खास बातचीत करते हुए  बताया कि खेती का सायकिल बनाया गया है. इस तकनीक को काजरी में दो हैक्टर जमीन पर विकसित किया गया है. इसकी पैदावार से किसानों और खासतौर से पशुपालन करने वाले कृषकों को भी सीधा लाभ मिल सकेगा.


छोटे किसान दो हेक्टर जमीन पर फसलों को उगा रहे हैं- एसपीएस तंवर
एसपीएस तंवर ने बताया कि, पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में कृषि के क्षेत्र में रिस्क ज्यादा रहता है. यहां जो मजदूर हैं, उन्हें वर्ष भर कृषि क्षेत्र में रोजगार नहीं मिल पाता. मॉनसून की बारिश पर निर्भर रहने वाले किसानों को उनके पूरे रिसोर्सेस का पूर्णतया लाभ भी नहीं मिल पाता. इसलिए इन सभी समस्याओं का समन्वय करके एक ऐसी प्रणाली को विकसित किया गया है, जिसमें छोटे किसान दो हेक्टर जमीन पर खेती कर फसलों को उगा रहे हैं. इन फसलों में चारे की फसल के साथ-साथ उद्यानिकी फैसलें भी हैं.


किसानों को मिलेंगी अलग-अलग फसलें
साथ ही औषधिय पौधे भी यहां लगाए गए हैं. किसान अपने मवेशियों का पालन भी इन फसलों से कर सकते हैं, जिससे किसानों को लाभ मिलता है. इस साइकिल के जरिए किसानों हर महीने कुछ न कुछ हार्वेस्ट मिलती है. इस पद्धति में जहां किसानों को जुलाई माह में अलग फासलें मिलेंगी. वहीं अक्टूबर में यहां आपको बाजरा, मोठ आदि की फैसलें मिलेंगी. इसी तरह किसान के खेतों से होने वाली फसलों का साइकिल लगातार जारी रहेगा. नवंबर दिसंबर महीना आएगा तो किसान को अलग फसल मिलेगी.


किसान लगातार कर सकते हैं उत्पादन
प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर एसपीएस तंवर ने बताया कि कृषि एटीएम की इस तकनीक से खेती किसानी करने वाले किसान महंगी वेजिटेबल की खेती भी कर सकेंगे. जिसमें विदेशी वेजिटेबल जैसे- (फोडर बीट) चार चुकंदर लेमनग्रास, कैमोमाइल टी, अश्वगंधा, ग्रास, रोसग्रास, नेपियर ग्रास, अनार, बेर, सोनामुखी, खेजड़ी जिस पर सांगरी की पैदावार होती हैं, शामिल हैं. इन सभी फसलों का एक साइकिल बनाकर किसान लगातार उत्पादन कर सकते हैं. 


वैज्ञानिक तंवर द्वारा किसानों के लिए वर्षभर होने वाली खेती के विकल्पों का ख्याल भी रखा गया है, जिससे किसानों को पूरे वर्षभर खेती से इनकम मिलती रहे.  वहीं काजरी के डायरेक्टर ओपी यादव का कहना है कि इस तकनीक से काफी किसानों को फायदा मिल रहा है. इस तकनीक का हमारे काजरी में किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है.


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