राजस्थान (Rajasthan) के उदयपुर (Udaipur) समेत कई जिलों में गणगौर महोत्सव (Gangaur Festival) घर-घर धूमधाम से मनाया जाता है. अब गणगौर महोत्सव संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एक प्रमुख एजेंसी यूनेस्को (UNESCO) की सांस्कृतिक विरासत सूची (Cultural Heritage List) में शामिल होने जा रहा है. यूनेस्को की टीम ने सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भी मांग लिया है. उदयपुर में रविवार को हुई यूनेस्को की इंटेंजीबल कल्चरल हैरिटेज कॉन्फ्रेंस में पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने गणगौर महोत्सव का प्रजेंटेशन दिया.


यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल होगा गणगौर महोत्सव


यूनेस्को की टीम ने महोत्सव के प्रजेंटेशन से प्रभावित होकर खुद प्रस्ताव मांग लिया. इंटेंजीबल कल्चरल हैरिटेज कॉन्फ्रेंस में भारत सहित बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका के प्रतिनिधि शामिल हुए. उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने प्रजेंटेशन में बताया कि उदयपुर, नाथद्वार, राजसमन्द और जयपुर में हर साल गणगौर महोत्सव धूमधाम से होता है. उन्होंने कहा कि बंगाल के दुर्गा पूजा उत्सव की तरह गणगौर महोत्सव में भी उत्साह होता है. दुर्गा पूजा उत्सव को पिछले साल ही यूनेस्को ने अमूर्त विरासत सूची में शामिल किया था.




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पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना से टीम ने मांगा प्रस्ताव


उन्होंने बताया कि देश की रामलीला, वैदिक मंत्रों के पाठ की परंपरा, केरल का कुड़ियाट्टम, उत्तराखंड का रम्माण त्योहार, केरल का मुडियेहु, राजस्थान का कालबेलिया, बौद्ध धर्म ग्रंथों के पाठ की परंपरा, मणिपुर के संकीर्तन, पंजाब का ठठेरा धातु हस्तशिल्प, योग, नवरोज कुंभ मेला और बंगाल का दुर्गा पूजा शामिल है. गणगौर पर्व होली के 15 दिन बाद आता है. अखंड सौभाग्य के लिए कुंवारी लड़कियां और सुहागिन महिलाएं घर-घर में गणगौर यानी शिव-पार्वती की पूजा करती हैं. ईसर और गौर यानी शिव-पार्वती की मिट्टी की मूर्ति को सोलह शृंगार कर सजाया जाता है. माता गणगौर की पूजा 16 दिन तक लगातार चलती है. शिखा सक्सेना के प्रजेंटेशन से यूनेस्को की टीम बेहद प्रभावित हुई. 


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