Rajasthan News: राजस्थान के पूर्वी द्वार कहे जाने वाले जिला भरतपुर को पक्षियों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. भरतपुर में इस वक्त भीषण गर्मी पड़ रही है. तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया है. भीषण गर्मी में इंसान हो या पशु पक्षी सभी को पानी से ही राहत मिलती है. भरतपुर में जमीनी पानी पीने के लायक नहीं है. जमीनी पानी खारा है इसलिए भरतपुर जिले में चंबल नदी का पानी धौलपुर से लिफ्ट कर पीने के लिए सप्लाई किया जाता है. 


केवलादेव नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा आमजन के हिस्से का पानी
केवलादेव नेशनल पार्क में भी पानी के लिए कोई भी स्थाई समाधान नहीं किया गया है. इसलिए जिला प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय उद्यान को भरतपुर और डीग जिले में रहने वाले लोगों के हिस्से के पानी की सप्लाई को रोक कर केवलादेव नेशनल पार्क में चंबल के पानी को छोड़ा जाएगा. जिला प्रशासन द्वारा 18 मई को डीग और 19 मई को भरतपुर शहर व ग्रामीण क्षेत्र में आमजन के लिए चंबल के पानी की सप्लाई नहीं करेगा और ये पानी राष्ट्रीय पक्षी उद्यान में छोड़ा जाएगा. क्योंकि प्री- मानसून में अगर बरसात नहीं होती है तो यहां नेस्टिंग के लिए आने वाले पक्षी पार्क के बाहर जहां पानी होता है वहीं अपना डेरा डाल देते है. इसलिए प्रशासन ने अभी से केवलादेव नेशनल पार्क को पानी देने का निर्णय लिया है. पार्क को लगभग 550 एमसीएफटी पानी की आवश्यकता होती है जो बरसात,  गोवर्धन ड्रेन और चंबल नदी से पूर्ति की जाती है. 


गौरतलब है कि केवलादेव नेशनल पार्क में रहने वाले पशु पक्षियों को भी पानी की जरुरत होती है. पहले भरतपुर जिले में करौली के पांचना बांध से गम्भीरी नदी,बाणगंगा नदी और रूपारेल नदी के जरिए अजान बांध में पानी आता था. वही पानी केवलादेव नेशनल पार्क को देता था. लेकिन जब से पांचना बांध की दीवारों को ऊंचा करके पानी को रोका गया है. तभी से अजान बांध में पानी आना बंद हो गया है और इसके साथ ही केवलादेव नेशनल पार्क को भी पानी की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 


साल 2012 से बंद हुआ है पांचना बांध का पानी 
केवलादेव नेशनल पार्क के उपवन संरक्षक मानस सिंह ने बताया कि यहां पहले पांचना बांध से छोड़ा गया पानी  मिलता था उस पानी में मछलियां और वनस्पति भरपूर मात्रा में पक्षियों को मिलती थी. इसके अलावा केवलादेव नेशनल पार्क की झीलों को भी उसी पानी से भरा जाता था. लेकिन साल 2012 के बाद पांचना बांध से पानी आना बंद हो गया है.
वेटलैंड क्षेत्र भी हुआ कम 


जानकारी के अनुसार साल 1986 में केवलादेव नेशनल पार्क के कुल क्षेत्र में से लगभग 11 किमी वर्ग वेटलैंड क्षेत्र हुआ करता था, लेकिन पानी की कमी के कारण अब लगभग 8 किलोमीटर वर्ग ही वेटलैंड क्षेत्र रह गया है। पहले लगभग 350 प्रजाति के लाखों की संख्या में देशी-विदेशी पक्षी भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क में आते थे. अब कई प्रजाति के पक्षियों ने आना कम कर दिया या आना ही बंद कर दिया है.


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