Bharatpur News Today: राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने बीते दिनों सीनियर सेकेण्डरी के रिजल्ट जारी कर दिये हैं. जारी परीक्षा परिणाम में तीनों विषयों में भरतपुर जिले की छात्राओं ने अपनी कामयाबी का परचम लहराया.


माध्यमिक शिक्षा बोर्ड सीनियर सेकेण्ड्री के साइंस विषय में 99.25 फीसदी लड़कियां पास हुई हैं. इसी तरह कामर्स विषय में सौ फीसदी लड़कियों ने कामयाबी हासिल की है. आर्ट विषय में लड़कियों ने अपनी कठिन परिश्रम का लोहा मनवाया. इस विषय में  98.41 फीसदी लड़कियां पास हुई हैं.


होनहार छात्राओं के लिए एडमिशन बनी दुविधा 
भरतपुर की होनहार छात्राओं को इस कामयाबी के बावजूद आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी. इसकी वजह यह है कि अपने पसंदीदा कोर्स में वह प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लें या सरकारी कॉलेज में, यह उनके बड़ी समस्या हो जाती है. 


होनहार छात्राओं के लिए भरतपुर संभाग में सबसे बड़ा कॉलेज आरडी गर्ल्स कॉलेज है. आरडी गर्ल्स कॉलेज में लगभग 4 हजार से भी ज्यादा छात्राएं पंजीकृत हैं और अलग-अलग कोर्स में पढ़ाई कर रही हैं.


नये एडमिशन सिर्फ 1420 सीटें हैं स्वीकृत
संभाग के सबसे बड़े आरडी गर्ल्स कॉलेज में प्रथम वर्ष मे तीनों फैकल्टी साइंस, कॉमर्स और आर्ट में लगभग 1420 सीट स्वीकृत हैं. इसके लिए हर साल कई कई छात्राओं को एडमिशन दिया जाता है. 


साइंस फैकल्टी के बीएससी बॉयो और बीएससी मैथ विषय में 2- 2 सेक्शन में 140- 140 सीटें उपलब्ध हैं. आर्ट फैकल्टी के फर्स्ट ईयर में 9 सेक्शन में 720 सीट उपलब्ध हैं. इसी तरह कॉमर्स में में 3 सेक्शन में 240 सीटे स्वीकृत हैं. 


भरतपुर संभाग के सबसे बड़े कॉलेज आरडी गर्ल्स कॉलेज की बात करें, तो यहां भी मेरिट के हिसाब से छात्रों को एडमिशन दिया जाता है. भरतपुर जिले में लगभग 10 हजार छात्राओं ने परीक्षा उत्तीर्ण की है.


इसके अलावा जिले के कई कस्बों में भी सरकारी और निजी कन्या महाविद्यालय हैं, लेकिन छात्राओं की कोशिश यही रहती है कि किसी तरह आरडी गर्ल्स कॉलेज में एडमिशन मिल जाए. इसकी वजह है अच्छे टीचर्स और कम फीस भी मुख्य कारणों में से एक है. 


कॉलेज में नहीं है कई विषयों के लेक्चरर
आरडी गर्ल्स कॉलेज में कई विषयों के लेक्चरर ही नहीं है और नया एडमिशन लेने वाली छात्राओं को ये शायद पता नहीं होगा. वैसे तो आरडी गर्ल्स कॉलेज में कुल 90 प्राध्यापकों की आवश्यकता है, लेकिन कुल 59 अध्यापकों के पद ही स्वीकृत हैं. 


इस समय कॉलेज में मात्र 26 लेक्चरर हैं. आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि आरडी गर्ल्स कॉलेज में एडमिशन लेने वाली छात्राओं की आगे की पढ़ाई पर क्या असर पड़ेगा, उनकी कुछ कर गुजरने की तमन्न कैसे पूरी होगी. एक तरह से यह उनके भविष्य के लिए खिलवाड़ है. एडमिशन के बाद का इन छात्राओं को उनके विषय कौन पढ़ायेगा, यह एक बड़ा सवाल है. 
 
आरडी गर्ल्स कॉलेज में दर्शन शास्त्र, मनोविज्ञान, इंग्लिश, मैथमेटिक्स और फिजिक्स के एक भी लेक्चरर नहीं हैं. ऐसे में अगर इन विषयों में छात्राएं आरडी गर्ल्स कॉलेज में एडमिशन लेती हैं, तो उन्हें कौन पढ़ायेगा? यह उन छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है.


क्या कहना है कॉलेज प्रिंसिपल का  ?


आरडी गर्ल्स कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ.सुजाता चौहान ने बताया है कि लास्ट एयर तक तो यह था कि सरकार की विद्या सम्बल योजना थी. उसके तहत कुछ लेक्चरर को रखा था लेकिन जो सत्र अभी निकला है उसमें रोक था. अब सरकार की एक योजना है जिसमें जिन कॉलेज में लेक्चरर नहीं है उन कॉलेज में नजदीकी कॉलेज में कार्यरत लेक्चरर को एक महीने में 6 दिन के लिए क्लासेस ले सकते हैं. उसी आधार पर यहां क्लासेस चली है. क्योंकि यहां कई सब्जेक्टों की फैकल्टी नहीं है. बच्चों की डिमांड तो रहती है लेकिन क्या करें जब फैकल्टी है ही नहीं. कॉलेज में साइंस के फिजिक्स,मैथ्स, कला संकाय के इंग्लिश, दर्शनशास्त्र है, म्यूजिक है, लगभग 5-6 सब्जेक्ट ऐसे हैं जिनके लेक्चरर नहीं हैं बिना फैकल्टी के ही कॉलेज चल रहा है. 



 प्रिंसिपल का कहना है कि हमने शिक्षा निदेशालय को लिखा है कि जो भी फैकल्टी नहीं है उन्हें लगाया जाए. अभी तो आचार संहिता लगी है कुछ नहीं हो सकता लेकिन उम्मीद है आचार संहिता हटने के बाद जिन विषयों की फैकल्टी नहीं है उपलब्ध हो जाये.अन्य कॉलेज से एक विषय के लेक्चरर को एक महीने में 6 दिन के लिए ही भेज सकते हैं. रेगुलर लेक्चरर होने से पढ़ाई सही होती है वर्ना बच्चों की पढ़ाई पर फर्क तो पड़ता है.  


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