Rajasthan Mustard News: राजस्थान में श्रीगंगानगर और अलवर जिला सरसों के उत्पादन में पहले और दूसरे नंबर पर है, जबकि इस बार सरसों उत्पादन के मामले में भरतपुर प्रदेश में तीसरे नंबर पर रहा. भरतपुर की सरसों की कई खासियत है. गुणवत्ता के मामले में भरतपुर की सरसों सर्वोत्तम मानी जाती है. 


देश के कई राज्यों में भरतपुर की पहचान सरसों के तेल से और सरसों की खल से होती है. भरतपुर के किसान सरसों की फसल को पैदावार बढ़ाने के लिए कड़ी मशक्कत करते हैं, लेकिन किसानों से सरसों की फसल को एमएसपी पर नहीं ख़रीदा जाता है. सरकार कुछ ही किसानों के सरसों की फसल को एमएसपी पर खरीदती है. 


ऐसे में किसानों को मजबूर होकर सस्ते दामों में अपनी फसल को मंडी में बेचने पर मजबूर होना पड़ता है. सरकार ने किसानों से सरसों की खरीद के लिए 5650 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी रेट तय किया है. हालांकि सरकार किसानों से सरसों की फसल नहीं खरीदती है. इससे किसानों को उनकी फसल की सही कीमत नहीं मिल पाती है.


सरकार ने तय किए हैं कठिन मापदंड
एमएसपी रेट पर सरसों खरीदने के लिए सरकार की शर्तें बहुत जटिल हैं. किसान को अगर अपनी सरसों को फसल बेचनी है तो उसको अपने खेत की जानकारी देनी पड़ेगी और फिर लैब टेस्ट होने के बाद ही किसानों के सरसों को एमएसपी रेट पर खरीदा जाएगा. 


सरकार की शर्तें अधिक हैं और भुगतान भी नगद नहीं मिलता है. इसलिए किसान अपनी फसल को व्यापारियों से बेचने के लिए मजबूर है. सरसों का समर्थन मूल्य 5650 रुपये क्विंटल है और किसान 4800 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से फसल बेचने को मजबूर है.


भरतपुर में सरसों की बंपर पैदावार
भरतपुर जिले में 1 लाख 49 हजार 892 हेक्टेयर में सरसों के फसल की बुवाई की गई थी. इस बार सरसों की बंपर पैदावार हुई है. भरतपुर जिले में कुल 2 लाख 55 हजार 94 मीट्रिक टन सरसों उत्पादन हुआ है. 


एमएसएपी पर खरीद को लेकर सख्त नियमों की वजह से किसान सीधे सरकार को अपनी फसल नहीं बेच पाते हैं. मजबूरी में किसान सस्ते दामों में अपने सरसों की फसल को व्यापारियों के हाथ बेचने पर मजबूर है. सरकार के जरिये भरतपुर जिले में अब तक एमएसपी रेट पर सिर्फ 1.63 लाख क्विंटल सरसों ही खरीदी गई है.


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