बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन को लेकर शुरू हुए विवाद ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग द्वारा शपथ पत्र मांगने के निर्देश पर साफ इंकार कर दिया है. 

उनका कहना है कि वे पहले ही संसद सदस्य के रूप में संविधान की रक्षा की शपथ ले चुके हैं. इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग दोनों पर सवाल उठाए हैं. वहीं राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मामले पर राहुल गांधी के समर्थन में 10 अगस्त को एक्स पर पोस्ट किया है.

ECI के द्वारा शपथ पत्र की मांग, इज्जत बचाने का प्रयास- अशोक गहलोत 

अशोक गहलोत ने इस मामले में चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया कि राहुल गांधी ने जनता के सामने ‘वोट चोरी’ के सबूत पेश किए हैं और देश को उन पर भरोसा है. उन्होंने कहा कि शपथ पत्र की मांग “बेहूदा” और “अपनी इज्जत बचाने का प्रयास” लगती है. गहलोत ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत के बयान का हवाला दिया कि पहले आयोग स्वतः संज्ञान लेकर जांच करता था, ताकि जनता का भरोसा बना रहे.

ऐतिहासिक संदर्भ और विपक्षी नेताओं के आरोप

गहलोत ने सवाल उठाया कि अतीत में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और नरेंद्र मोदी जैसे विपक्षी नेताओं ने भी चुनाव आयोग पर आरोप लगाए थे, लेकिन तब उनसे कोई शपथ पत्र नहीं मांगा गया. उन्होंने तंज किया कि यदि यह खुलासा किसी खोजी पत्रकार या मीडिया संस्थान ने किया होता तो क्या आयोग उनसे भी शपथ पत्र मांगता या निष्पक्ष जांच करता? यह सवाल सीधे तौर पर आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर उठाया गया है.

नॉर्थ कोरिया, चीन और रूस से की तुलना

अशोक गहलोत ने तुलना करते हुए कहा कि नॉर्थ कोरिया, चीन और रूस जैसे देशों में एक ही पार्टी का शासन है और वहां के चुनाव आयोग केवल औपचारिकता निभाते हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि भारत में भी अगर इसी तरह की कार्यप्रणाली अपनाई गई, तो लोकतंत्र की साख को गहरा नुकसान होगा.