राजस्थान विधानसभा में एंटी कन्वर्जन बिल (राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधायक 2025) मंगलवार (9  सितंबर) को ध्वनिमत से पारित हुआ. विपक्ष ने भारी हंगामा किया. राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद ये कानून की शक्ल ले लेगा. इसमें कई सख्त प्रावधान किए गए हैं. जिस बिल्डिंग में सामूहिक धर्म परिवर्तन कराया जाएगा, उसे बुलडोजर से ध्वस्त किया जा सकेगा. मूल धर्म में वापसी के मामलों में यह कानून लागू नहीं होगा. यानी अगर किसी के पूर्वज सनातनी थे और वह कई पीढ़ियों से दूसरे धर्म को अपना रहा था तो इसे घर वापसी माना जाएगा. घर वापसी के मामलों में यह धर्मांतरण कानून लागू नहीं होगा. 

  • इसमें उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है 
  • 25 लाख रुपए तक का जुर्माना
  • देश में अब तक जिन राज्यों में धर्मांतरण कानून लागू है, उनमें सबसे सख्त प्रावधान राजस्थान में किया गया

कांग्रेस विधायकों ने चर्चा में हिस्सा नहीं लिया

दोपहर करीब 2:30 बजे से इस बिल पर सदन में चर्चा शुरू हुई. सदन में मौजूद होने के बावजूद कांग्रेस के विधायकों ने चर्चा में हिस्सा नहीं लिया. कांग्रेस के विधायक इस दौरान लगातार स्पीकर की सीट के सामने खड़े होकर नारेबाजी करते रहे. 

विपक्ष को उचित सम्मान नहीं दिया जा रहा- कांग्रेस

कांग्रेस विधायकों का आरोप था कि विधानसभा में परंपराओं का पालन नहीं किया जा रहा है और विपक्ष को उचित सम्मान नहीं दिया जा रहा है. कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि धर्मांतरण बिल समाज को बांटने वाला है और यह गैर जरूरी था. विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने कि राज्य में लव जिहाद का एक भी मामला दर्ज नहीं है. ऐसे में इस बिल की कोई जरूरत नहीं थी. 

इस बिल के व्यापक नतीजे देखने को मिलेंगे- मदन दिलावर

दूसरी तरफ सत्ता पक्ष ने कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर डर, दबाव और लालच के जरिए धर्मांतरण कराया जा रहा था. भोले भाले लोगों खास कर युवतियों को साजिश के तहत धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने के बाद उनका उत्पीड़न किया जाता है. सत्ता पक्ष की तरफ से कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि इस बिल के व्यापक नतीजे देखने को मिलेंगे. मूल धर्म में वापसी के जरिए लोगों की घर वापसी हो सकेगी. 

BJP विधायक बाबा बालक नाथ और महंत प्रताप पुरी के मुताबिक यह बेहद जरूरी था. इससे धर्म परिवर्तन कराने की घटनाओं पर अंकुश लग सकेगा.

भारत आदिवाी पार्टी ने क्या कहा?

राज्य की विधानसभा में तीसरे नंबर की पार्टी भारत आदिवासी पार्टी ने भी सदन में हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए इसका विरोध किया और हाँ कि धर्मांतरण गैर जरूरी मुद्दा है. इसके बजाय बुनियादी जरुरतों से जुड़े हुए बिल लाए जाने चाहिए थे. 

विधायक थावरचंद डामोर ने कहा कि अंग्रेजों के समय तक आदिवासी एक अलग धर्म के रूप में थे. बाद में उन्हें वोट बैंक की लालच में हिंदू बताया जाने लगा. गरीबों के चलते बड़ी संख्या में आदिवासी दूसरे धर्म को अपना रहे हैं. आदिवासियों के मूल धर्म को बचाने का कोई प्रावधान इस बिल में नहीं है.