Punjab Latest News: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले में बड़ा फैसला लेते हुए महिला पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. महिला पर आरोप है कि वो अपने पूर्व पति से 22 लाख रुपये गुजारा भत्ता लेने के बाद भी विवाद को निपटाने के लिए मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान दर्ज करवाने नहीं पहुंची. इस पर न्यायमूर्ति सुमीत गोयल ने महिला पर धारा 498ए और 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने की सजा) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत पति के खिलाफ पहले से दर्ज एफआईआर को भी रद्द कर दिया. 


कोर्ट की तरफ से महिला के आचरण पर कड़ा एतराज जताया गया. साथ ही उसके पति के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए कहा गया कि उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही जारी रखना कानूनी प्रक्रिया का सरासर दुरुपयोग होगा. वहीं कोर्ट की तरफ से गया कि महिला से यह उम्मीद नहीं की जाती सकती कि वो नेल्सन कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए धोखेबाज तत्वों के घृणित और क्रूर प्रयासों पर ध्यान देगी. कोर्ट ने कहा कि पत्नी का आचरण सद्भावना की दृष्टि से अक्षम्य है. 


पति ने खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा
बता दें कि महिला के पति ने समझौते के आधार पर एफआईआर को रद्द करने के लिए साल 2022 में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मार्च 2024 में मजिस्ट्रेट की तरफ से तरफ से पति-पत्नी को अपने बयान दर्ज करवाने का निर्देश दिया गया था. इसके बाद बयान दर्ज करवाने के लिए महिला का पति तो मजिस्ट्रेट के सामने पेश हुआ लेकिन उसकी पत्नी वहां नहीं पहुंची. महिला के पति के वकील ने कोर्ट में कहा कि मुकदमे को बेवजह लंबा खींचने का प्रयास किया जा रहा है. 


कोर्ट की तरफ से सब दलीलों को सुनने के बाद कहा गया कि जब पत्नी को समझौते का लाभ मिल चुका है तो पति के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द की जानी चाहिए. हालांकि, कोर्ट की तरफ से यह भी कहा गया कि पत्नी की तरफ दलील दी जा सकती है कि उससे जबरदस्ती समझौता किया गया. लेकिन, इसके लिए केवल बयान की पर्याप्त नहीं होगा.


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