पंजाब के कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु (Bharat Bhushan Ashu) ने प्रदूषण को वैश्विक मामला बताया है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किसानों और शहरी लोगों को भी सोचना चाहिए. हर इंसान को सोचना पड़ेगा. ये सिर्फ़ दिल्ली, पंजाब और हरियाणा का मामला नहीं है, ये वैश्विक मामला है. इस बीच लुधियाना में किसान पराली जलाते देखे गए.


गौरतलब है कि दिवाली के बाद से ही राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण की धुंध दिखी. दिल्ली के अलावा हरियाणा और पंजाब में भी वायु का गुणवत्ता सबसे खराब दर्ज की गई है. दिल्ली में दिवाली के अगले दिन 5 सालों का अब तक का सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया है.


दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने त्योहारों के आगमन से पहले ही 1 जनवरी साल 2022 तक पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. इसके अलावा दिल्ली में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल के खिलाफ सघन अभियान चलाया गया था.


दिवाली के एक दिन बाद यानी शुक्रवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 463 तक पहुंच गया था. इसके अलावा दिल्ली से सटे फरीदाबाद (464), ग्रेटर नोएडा (441), गाजियाबाद (461), गुरुग्राम (470) और नोएडा (471) दर्ज की गई. पिछले पांच सालों में दिवाली के दिनों की तुलना में यह अब तक का सबसे ज्यादा पॉल्यूटेड रहा है.


केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा के सोनीपत में एक्यूआई 411, रोहतक में 449, करनाल में 304 और हिसार में 421 दर्ज की गई. इसके अलावा पंजाब के जालंधर में एक्यूआई 348 और पटियाला में 263 है. वहीं चंडीगढ़ में एक्यूआई मध्यम यानी 152 था. 


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