पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election 2022) के नतीजे आ चुके हैं. इन नतीजों के आधार पर आम आदमी पार्टी (AAM AADMI PARTY) पंजाब में अपनी सरकार बनाने जा रही है.चुनाव नतीजों के आंकड़ों में एक चौकाने वाली बात सामने आई है. आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि बठिंडा और मनसा जिले में नोटा का बटन दबाने वालों की संख्या 2017 के चुनाव के मुकाबले 2022 में बढ़ी है. 


कहां कितने मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया


आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2017 के चुनाव में 8 हजार 104 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था. वहीं इस साल नोटा का बटन दबाने वालों की संख्या बढ़कर 9 हजार 792 हो गई है. यानी की इस साल 1688 और लोगों को चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों में से कोई उम्मीदवार पसंद नहीं आया.


वहीं अगर लोकसभा चुनाव की बात करें तो 2014 के चुनाव में 4 हजार 701 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था. साल 2019 के चुनाव में नोटा का बटन दबाने वालों की संख्या बढ़कर 13 हजार 323 हो गई. 


नोटा का बटन दबाने वालों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से मालवा के इन दो जिलों में ही देखने को मिल रही है. लेकिन अन्य जिलों में यह कम हुआ है. बठिंडा के 6 विधानसभा क्षेत्रों में से बठिंडा शहरी सीट को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में नोटा का बटन दबाने वालों की संख्या बढ़ी है. 


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2017 और 2022 में कितना आया अंतर


तलवंडी साबो सीट पर 2017 में 578 लोगों ने नोटा का विकल्प चुना था, जो इस चुनाव में बढ़कर 1 हजार 8 हो गई. वहीं बुच्चो सीट पर 2017 में 711 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था, इस बार ऐसे लोगों की संख्या बढ़कर 1 हजार 555 हो गई है.  


पंजाब सेंट्रल यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर बाबा ने अखबार 'ट्रिब्यून' से कहा कि नोटा के वोटों की संख्या बढ़ना लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेते नहीं है. लेकिन इस साल यह जिस तरीके से बढ़ा है, उसका बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ा है. लेकिन अगर यह भविष्य में भी बढता रहता है तो यह चिंताजनक होगा. 


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