Nuh Rape Case: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने बुधवार को एक अहम मामले पर सुनवाई की. कोर्ट ने 17 साल की रेप पीड़िता के मामले की सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया, जो चर्चा का विषय बना हुआ है. मासूम रेप पीड़िता ने गर्भ गिराने की याचिका दायर करते हुए अपील की थी कि वह 26 सप्ताह के गर्भ से है. अगर वह इस बच्चे को जन्म देती है तो उसे शारीरिक और मानसिक पीड़ा होगी. साथ ही यह बच्चा हमेशा उसके मन को आघात पहुंचाएगा.


पीड़िता ने कहा कि बार-बार उस पीड़ा की याद दिलाएगा कि रेप की वजह से उसने बच्चे को जन्म दिया है. यहीं नहीं अगर उसे गर्भ गिराने की मंजूरी नहीं मिली तो उसका भविष्य भी खराब हो जाएगा. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने लड़की की दलीलों को सुनने के बाद अपने फैसले में कहा कि रेप के बाद पैदा हुआ बच्चा, पीड़िता को उसके साथ दरिंदगी की याद पूरी उम्र दिलाता रहेगा. यह बच्चा नाबालिग के शरीर और आत्मा के साथ हुए अपराध की गवाही है. रेप से पैदा हुए बच्चे का जीवन भी आम बच्चों जैसा नहीं हो सकता, उसे दुनिया की ताने सुनने पड़ेंगे. ऐसे में मां और बच्चे को पूरी जिंदगी कैद जैसी गुजारनी पड़ेगी.


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17 साल की रेप पीड़िता ने मांगी थी गर्भ गिराने की अनुमति
कोर्ट ने कहा कि जिंदगी सिर्फ सांस लेने का नाम नहीं है, बल्कि उसे सम्मान से सिर उठाकर जीना ही जिंदगी है. इसकी साथ ही कोर्ट ने नाबालिग को गर्भ गिराने की अनुमति दे दी. आपको बता दें कि 17 साल की रेप पीड़िता ने 21 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज करवाई थी और कोर्ट में गर्भ गिराने की अनुमति मांगी थी. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नूंह के शहीद हसन खान मेडिकल कॉलेज को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया था. बोर्ड को पीड़िता की जांच कर 16 नवंबर तक कोर्ट को बताना था कि क्या पीड़िता का गर्भपात सुरक्षित होगा? बोर्ड ने जब रिपोर्ट 16 नवंबर को पेश की तो उस रिपोर्ट में गर्भपात को लेकर कोई सिफारिश न होने पर जमकर फटकार लगाई थी.