Haryana News: हरियाणा के सोनीपत में निर्माणाधीन नगर निगम बिल्डिंग एस्टीमेट को लेकर मचे बवाल में नया मोड़ आ गया है. आईएसएस अधिकारी धर्मेंद्र सिंह को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार तो कर लिया गया, लेकिन जांच में नया खुलासा हुआ है कि भवन निर्माण में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ. यानी सोनीपत में निर्माणाधीन नगर निगम बिल्डिंग में की गई एनहांस के मामले में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई है. 


फरीदाबाद नगर निगम के मुख्य अभियंता बीके कदम ने मामले की जांच करने के बाद कहा कि जिस इनहांसमेंट में गड़बड़ी के आरोल लगाए गए वह गड़बड़ी नहीं, बल्कि रिवाइज एस्टीमेट है. उन्होंने बताया कि इस मामले में जांच रिपोर्ट हरियाणा सरकार को भेज दी गई है. 


रेट बढ़ने की ये है वजह


आईएएस धर्मेंद्र सिंह पर दिल्ली के ठेकेदार ललित मित्तल को सरकारी ठेका दिलाने के नाम पर रिश्वत लेने और सोनीपत के नगर निगम बिल्डिंग के इनहांसमेंट में गड़बड़ी का आरोप है. इस मामले का खुलासा होने पर हरियाणा सरकार ने धर्मेंद्र सिंह के खिलाफ जांच फरीदाबाद नगर निगम के चीफ इंजीनियर बीके कर्दम को सौंपी थी. जांच के बाद बीके कर्दम का कहना है कि सोनीपत नगर निगम की बिल्डिंग का पहला वर्क ऑर्डर 23 जनवरी 2018 को 52.70 करोड़ का हुआ था. रिवाइज एस्टीमेट बाद में बढ़ाकर 83.57 करोड़ कर दिया गया. जांच अधिकारी का कहना है कि रेट बढ़ने का कारण बिल्डिंग निर्माण में प्रयोग होने वाले आइटम का बढ़ना है. 


निर्माणाधीन बिल्डिंग का एस्टीमेट नगर निगम सोनीपत ने नहीं बल्कि दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने तैयार किया था. गौर करने वाली बात यह है कि भवन निर्माण में 100 किलोवाट का सोलर पैनल, सेंट्रलाइज एयर कंडीशन, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, ग्रीन बिल्डिंग आदि की सुविधाएं बढ़ाई गई हैं.


वॉयस सैंपलिंग को लेकर सुनवाई आज


वहीं, रिश्वत के मामले में गिरफ्तार भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी धर्मेंद्र सिंह 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में हैं. रिमांड के दौरान आरोपी से सोनीपत पुलिस कोई बरामदगी नहीं करा पाई. हरियाणा पुलिस ने शुक्रवार को कोर्ट में पेशी के दौरान और रिमांड की मांग नहीं की. सोनीपत पुलिस ने हैंडराइटिंग और वॉयस सैंपलिंग के लिए कोर्ट में याचिका लगाई है. इस मामले में कोर्ट ने विचार करने के लिए आज तक का समय दिया है.


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