Punjab News: पंजाब विधानसभा ने बुधवार को सर्वसम्मति से कांग्रेस नीत हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा पहाड़ी राज्य में मौजूद जल विद्युत परियोजनाओं (Hydro Electric Projects) पर जल उपकर (Water Cess) लगाने के मसौदे के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया. प्रस्ताव में कहा गया कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा लगाया गया वाटर सेस अवैध है, और उसे वापस लिया जाना चाहिए.


BJP-BSP ने भी किया समर्थन


विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP), शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal), बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने भी आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा विधानसभा के बजट सत्र (Budget Session) के अंतिम दिन पेश प्रस्ताव का समर्थन किया. कांग्रेस सदस्य इस दौरान मौजूद नहीं रहे क्योंकि उन्होंने स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किए जाने के विरोध में उन्होंने पहले ही सदन से बहिर्गमन कर दिया था. पंजाब के जल संसाधन मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर (Gurmeet Singh Meet Hayer) ने प्रस्ताव पेश किया. उन्होंने कहा कि वाटर सेस से 1200 करोड़ रुपये का बोझ पढ़ेगा जिसमें से 500 करोड़ रुपये का बोझ पंजाब सरकार पर आएगा.


हरियाणा सरकार ने भी किया विरोध


बता दें कि, हरियाणा सरकार ने भी हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा जलविद्युत परियोजनाओं पर  वाटर सेस लगाने के अध्यादेश का विरोध किया है. प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने वाटर सेस को अवैध बताया और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री खट्टर ने बजट सत्र के अंतिम दिन अध्यादेश का विरोध करने के लिए एक प्रस्ताव भी पेश किया. इस प्रस्ताव को पूरे सदन ने समर्थन दिया और सर्वसम्मति से पारित किया. उन्होंने केंद्र सरकार से यह भी गुजारिश कि की वो हिमाचल सरकार को अध्यादेश वापस लेने के लिए हस्तक्षेप करे क्योंकि यह केंद्रीय अधिनियम यानी अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम 1956 का उल्लंघन है.


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