Haryana News: हरियाणा के एक सरकारी स्कूल से चौंकाने वाला मामला सामने आया. जींद के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली 142 नाबालिग लड़कियों ने प्रिंसिपल पर छह साल तक उनका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था. न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बुधवार को जींद जिले के डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद इमरान रजा ने कहा कि उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के नेतृत्व में एक जांच समिति ने कुल 390 लड़कियों के बयान दर्ज किए हैं और हमने 142 मामलों की शिकायतें दर्ज की हैं. लड़कियों पर यौन उत्पीड़न के मामले में आगे की कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को भेजा गया है. इन 142 लड़कियों में से अधिकांश ने प्रिंसिपल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया, जबकि बाकी ने कहा कि वे भयानक कृत्यों की गवाह थीं. बता दें आरोपी प्रिंसिपल फिलहाल सलाखों के पीछे है.


गौरतलब है कि करीब 15 लड़कियों ने इससे पहले 31 अगस्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य महिला आयोग सहित अन्य को कथित कृत्यों को लेकर पत्र लिखा था. प्रिंसिपल पर 13 सितंबर को हरियाणा महिला आयोग ने पत्र का संज्ञान लिया और अगले दिन 14 सितंबर को कार्रवाई के लिए इसे जींद पुलिस को भेज दिया.


हालांकि, इस मामले में आरोप लगाया गया कि पुलिस ने इस मामले में तत्परता नहीं दिखाई और काफी समय बीतने के बाद में 30 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की गई. आरोपी को 4 नवंबर को गिरफ्तार किया गया और 7 नवंबर को अदालत में पेश किया गया, जिसमें आरोपी प्रिंसिपल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. महिला आयोग ने पहले कहा था कि सरकारी स्कूल की 60 लड़कियां प्रिंसिपल के खिलाफ अपना बयान दर्ज कराने के लिए आगे आईं. हालांकि, अब यह संख्या बढ़कर 142 हो गई है.


मामले पर डिप्टी कमिश्नर ने कहा, ‘सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) रैंक के तीन (जिला) अधिकारियों की एक टीम द्वारा की गई जांच के दौरान प्रिंसिपल को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया. अब आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र तैयार किया जाएगा.’ डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि गिरफ्तार प्रिंसिपल के खिलाफ आगे की कार्रवाई पर फैसला आरोपपत्र दाखिल होने के बाद लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मामले की आगे की जांच के लिए अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर (एडीसी) हरीश वशिष्ठ को नियुक्त किया गया है.


प्रिंसिपल के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए 16 नवंबर को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) दीप्ति गर्ग के नेतृत्व में छह सदस्यों की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया था. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) श्रीकांत जाधव ने जांच टीम को 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने और उन नाबालिग लड़कियों के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था करने का निर्देश दिया, जो कथित तौर पर प्रिंसिपल द्वारा शिकार बनी थीं.


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