Haryana Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर देश में राजनीतिक माहौल गर्म है. चुनाव को लेकर प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. लोकसभा चुनाव को लिए बीजेपी ने 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है तो वहीं कांग्रेस ने 39 उम्मीदवारों को नाम के साथ पहली सूची जारी की है. ऐसे में ये देखना होगा कि हरियाणा की हॉट सीट फरीदाबाद लोकसभा सीट को लेकर बीजेपी-कांग्रेस किस नेता पर दांव लगाएंगी. आइए जानते हैं फरीदाबाद लोकसभा सीट का राजनीतिक समीकरण और इतिहास.


दिल्ली से सटी फरीदाबाद लोकसभा सीट की बात करें तो यहां पर आमतौर पर दो ही पार्टियों का दबदबा रहा है . 1991 से यहां पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच में ही टक्कर रही है और यही वजह रही की 1991, 2004 और 2009  में जहां कांग्रेस के अवतार सिंह भड़ाना जीते तो वहीं 1996 ,98 और 99 में बीजेपी से रामचंद्र बैंदा तो वहीं 2014 और 2019 में बीजेपी से ही कृष्णपाल गुर्जर ने जीत हासिल की.


कांग्रेस ने खेला गुर्जर प्रत्याशी पर दांव


यहां गुर्जर प्रत्याशी के रूप में कृष्णपाल गुर्जर ने देश में तीसरी सबसे बड़ी जीत फरीदाबाद लोकसभा से हासिल की थी. कृष्ण पाल गुर्जर ने 6,38,239 मतों से कांग्रेस के प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना को हराया था. जातिगत समीकरणों के हिसाब से अगर देखें तो खास बात यह रही कि बीजेपी ने बेशक 1996 ,1998 1999 में जाट समुदाय के रामचंद्र बैंदा को मौका दिया, लेकिन कांग्रेस ने 1991 से अब तक गुर्जर प्रत्याशी पर ही अपना दाव खेला है.


यही वजह है कि इस बार भी यह माना जा रहा है कि कांग्रेस इस बार भी गुर्जर चेहरे पर ही दावा लगाएगी. हालांकि जाट समुदाय से अगर बात करें तो पूर्व मंत्री रहे पलवल के विधायक और हुड्डा के समधी करण सिंह दलाल भी इस बार लोकसभा के लिए अपना जोर आजमा रहे हैं.  


बीजेपी-कांग्रेस किस नेता पर लगाएंगी दांव


अब किसी भी वक्त टिकटों की घोषणा हो सकती है, तो ऐसे में अगर फरीदाबाद में कांग्रेस और बीजेपी की टिकट की बात करें तो बीजेपी से कृष्णपाल गुर्जर ( इस समय केंद्र सरकार में मंत्री हैं) और पूर्व उद्योग मंत्री प्रमुख दावेदार हैं, लेकिन राजनीति के जानकार बता रहे हैं कि फरीदाबाद और गुरुग्राम इन दो सीटों पर प्रत्याशी बदले जाना बेहद मुश्किल नजर आता है और अगर इन दो सीटों पर प्रत्याशी बदले तो इसे आश्चर्य ही कहा जाएगा .ऐसे में बीजेपी से कृष्णपाल गुर्जर ही उम्मीदवार हो सकते हैं.


कांग्रेस के अवतार भड़ाना लगातार दो बार कृष्णपाल गुर्जर और तीन बार रामचंद्र बैंदा से हार चुके हैं और इस समय पार्टी से अलग थलग ही हैं. पिछले चुनाव में भी जब अवतार भड़ाना कांग्रेस की टिकट लेकर आए तब वह उत्तर प्रदेश के मीरपुर से विधायक थे और अपना त्यागपत्र देकर फरीदाबाद लोकसभा से चुनाव लड़ा था, लेकिन उसके बाद से अवतार भड़ाना अज्ञातवास में हैं.


ऐसे में इस बार की बात करें तो लोकसभा चुनाव के लिए लगभग 11 उम्मीदवारों ने आवेदन किया है, जिसमें वरिष्ठ कांग्रेसी नेता यशपाल नागर, पूर्व मंत्री रहे महेंद्र प्रताप के पुत्र विजय प्रताप और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी करण सिंह दलाल का नाम शामिल है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि यहां से किसको टिकट मिलती है.


फरीदाबाद लोकसभा सीट पर रानीतिक समीकरण


पिछले कुछ समय से अगर राजनीतिक समीकरणों को देखें तो काफी समय से यहां पर गुर्जर उम्मीदवारों की ही जीत होती रही है और यही वजह है कि फरीदाबाद लोकसभआ सीट को परंपरागत रूप से गुर्जर सीट माना जा रहा है. 1991 ,2009 ,2004 में जहां गुर्जर समुदाय से संबंध रखने वाले अवतार सिंह भड़ाना जीते. तो वहीं 2014 , 2019 में कृष्ण पाल गुर्जर (Krishan Pal) यहां से जीते हैं .हालांकि 1996, 1998 और 1999 में जाट समुदाय से रामचंद्र बैंदा ने कांग्रेस के अवतार सिंह भड़ाना को हराकर जीत हासिल की थी. राजनीति के जानकार बताते हैं कि ऐसे में अगर कांग्रेस को यहां से बढ़त बनानी है तो उसे गुर्जर चेहरे पर ही दाव लगाना पड़ेगा.


अब गुर्जर चेहरे की बात करें तो पूर्व मंत्री रहे महेंद्र प्रताप एक बड़ा नाम है, लेकिन वह लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं बताए जाते और इसलिए उन्होंने आवेदन भी नहीं किया है. लेकिन उनके पुत्र विजय प्रताप ने इस सीट के लिए आवेदन किया है. पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप का परिवार गुर्जर समुदाय में अच्छी पकड़ रखता है, लेकिन अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि विजय प्रताप खुद बड़खल विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहते हैं .क्योंकि पिछली बार इस सीट से वह बीजेपी की उम्मीदवार रही सीमा तिरखा से कुछ वोट से हार गए थे. इस बार इस विधानसभा चुनाव में वह इस कसक को मिटाना चाहते हैं.


अब गुर्जर समुदाय से ही अगर दूसरे उम्मीदवार की बात करें तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यशपाल नागर ने इस सीट के लिए उम्मीदवारी पेश की है. यशपाल नागर इस बात का भरोसा जताते हैं कि अगर पार्टी नेतृत्व ने उन्हें मौका दिया तो वह इस सीट को कांग्रेस की झोली में डालने का काम करेंगे. उनके मुताबिक समीकरणों के हिसाब से वह बेहद मजबूत उम्मीदवार हैं. यशपाल नागर गुर्जर समुदाय में अच्छी पकड़ रखते हैं और लोगों के बीच अपने अच्छे व्यवहार के लिए जाने जाते हैं.


किस चेहरे पर भरोसा जाता सकती है कांग्रेस?


अब बात करते हैं पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल कि तो पिछली बार का विधानसभा चुनाव हार गए थे. वह पलवल से बीजेपी के उम्मीदवार रहे दीपक मंगला से चुनाव हारे थे. अब करण सिंह दलाल चाहते हैं कि उन्हें लोकसभा का टिकट दिया जाए और इसके लिए वह लगातार लोगों के बीच में जा रहे हैं और पार्टी का प्रचार कर रहे हैं. करण सिंह दलाल इन दिनों तमाम कार्यक्रम में देखने को मिलते हैं, लेकिन फरीदाबाद की 6 विधानसभाओं की अगर बात करें तो यहां पर उनका प्रभाव कम नजर आता है.


ऐसे मैं करण दलाल लगातार लोगों के बीच जाकर जनता के मध्य उठा रहे हैं, लेकिन फरीदाबाद लोकसभा सीट के इतिहास को देखते हुए यह कहना थोड़ा मुश्किल नजर आता है कि कांग्रेस करण सिंह दलाल पर भरोसा जता सकती है. हालांकि उनके पक्ष में एक बड़ी बात कही जाती है कि वह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी हैं. 


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