Maharashtra News: बीते दिनों में विपक्षी दलों की बैठक के ठीक बाद बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए (NDA) की बैठक हुई. एनडीए की इस बैठक में कुल 38 दल साथ आए. इस बैठक के बाद विपक्षी दलों की तरफ से बयानबाजी शुरू हो गई, उनका कहना था कि NDA के कुल 38 दलों में से कुछ दल ऐसे भी हैं, जिन्हें कोई नहीं जानता. इसी कड़ी में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने भी बीजेपी पर कटाक्ष किया है. उद्धव ठाकरे ने अपने मुखपत्र 'सामना' (Saamana) को दिए इंटव्यू में कहा कि, एनडीए के ED, CBI और इनकम टैक्स ये तीन प्रमुख दल है. 


मणिपुर हिंसा पर उद्धव ठाकरे का बयान
इसके इलावा उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र की आलोचना की और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) उत्तर-पूर्वी राज्य का दौरा करने के लिए भी तैयार नहीं हैं. एनडीए बैठक पर निशाना साधते हुए ठाकरे ने दावा किया कि जब चुनाव करीब आते हैं तो बीजेपी के लिए उसकी सरकार NDA सरकार हो जाती है. लेकिन जब चुनाव खत्म होता है तो वह केवल 'मोदी सरकार' बन जाती है. बता दें कि विपक्षी दल बीजेपी पर विरोधियों को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते रहे हैं.


NDA की बैठक पर उद्धव ठाकरे का हमला
उद्धव ठाकरे ने अपने इंटरव्यू में आगे कहा, 'एनडीए में 36 पार्टियां हैं. ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स ही एनडीए में तीन मजबूत पार्टियां हैं. अन्य पार्टियां कहां हैं? कुछ पार्टियों के पास एक भी सांसद नहीं है.' समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के मुद्दे पर भी उद्धव ठाकरे ने बात की. उन्होंने कहा कि बीजेपी को पहले कश्मीर से कन्याकुमारी तक गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून लाना चाहिए. अगर कानून के सामने हर कोई समान है, तो बीजेपी में जो लोग भ्रष्ट हैं, उन्हें भी दंडित किया जाना चाहिए.


बिना नाम लिए एकनाथ शिंदे पर निशाना
शिवसेना में फूट डालने वाली बात पर भी उन्होंने अपनी बात रखी. उद्धव ठाकरे ने कहा कि जिन लोगों ने शिव सेना में फूट डाली, उन्होंने सोचा कि टीम ठाकरे खत्म हो जाएगी, लेकिन यह फिर से उभर रही है, क्योंकि बगावत करने वाले कई दिग्गज लंबे समय से अपनी सीटों पर काबिज थे और अब उनकी जगह नए लोगों को मौका मिल सकता है. बता दें कि, पिछले साल जून में विधायक एकनाथ शिंदे और 39 अन्य विधायकों ने शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिससे पार्टी में विभाजन हो गया और ठाकरे के नेतृत्व वाली 'महा विकास अघाड़ी सरकार' गिर गई. शिंदे बाद में बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए.


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