Sanjay Raut on MK Stalin: देश के कुछ राज्यों में भाषा के आधार पर विवाद एक बार फिर से जोर पकड़ने लगा है. शिवसेना (यूबीटी) नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने हाल ही में तमिलनाडु के तुलना में इस पर बयान दिया है.


तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पीटीआई के अनुसार, उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के राज्य कई सालों से इस मुद्दे पर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन उनकी लड़ाई हिंदी थोपे जाने के खिलाफ है, जबकि महाराष्ट्र में लड़ाई का उद्देश्य अलग है.


मैं हिंदी बोलता हूं, पढ़ता हूं और सोचता हूं- संजय राउत


राउत ने कहा, “हम हिंदी बोलते हैं, मैं हिंदी में बोलता हूं, पढ़ता हूं और सोचता हूं. यहां हिंदी को लेकर कोई पाबंदी नहीं है. हमारी भूमिका ये है कि प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को लेकर सख्ती नहीं होनी चाहिए. वो हम होने नहीं देंगे और हमारी लड़ाई यहां तक सीमित है.” 


उन्होंने आगे कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने महाराष्ट्र में हुई हमारी रैली से प्रेरणा लेने की बात कही है, लेकिन यहां स्थिति अलग है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि महाराष्ट्र में हिंदी फिल्मों के थिएटर चलते हैं, हिंदी गाने बजते हैं और हिंदी अखबार भी छपते हैं. यानी हिंदी को लेकर महाराष्ट्र में कोई विरोध नहीं है.


शिवसेना (UBT) नेता ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र सरकार की लड़ाई हिंदी को कक्षा 1 से तीसरी भाषा के रूप में स्कूलों में लागू करने के फैसले के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि यह हमारी मातृभाषा मराठी के साथ अन्याय है. उन्होंने स्पष्ट किया, “हम मराठी को दबने नहीं देंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम हिंदी के खिलाफ हैं.”



एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के बयान पर किया पलटवार


पत्रकारों ने जब सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बयान का ज़िक्र किया, जिसमें उन्होंने ठाकरे बंधुओं को केवल राजनीतिक मतलब से साथ आना बताया, इस पर संजय राउत ने कहा, "अच्छा ठीक है, आ गए न, राजनीति के लिए ही आए न. आप किसके लिए साथ आए भई? एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस साथ किस लिए आए हैं? सोशल वर्क करने के लिए आए हैं? या आपकी जो संपत्ति जो बनाई है, उसको बांटने के लिए आए हैं?"


उन्होंने महायुती सरकार में साथ आए पार्टियों का ज़िक्र करते हुए सवाल किया कि ये सब साथ किस मकसद से आए हैं. उन्होंने साफ किया कि अगर उन्हें लगता है कि ठाकरे बंधु राजनीति के लिए साथ आए हैं, तो समझ लीजिए ये राजनीति मराठी हित के लिए है.