Shrikant Shinde Foundation: उद्धव ठाकरे गुट के शिवसेना नेता संजय राउत ने प्रधानमंत्री को खत लिखकर श्रीकांत शिंदे फाउंडेशन के संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की जांच की मांग की है. श्रीकांत शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे हैं. ठाणे के नितिन सतपुते ने ठाणे चैरिटी कमिश्नर से शिकायत की है कि एक सार्वजनिक चैरिटी ट्रस्ट श्रीकांत शिंदे फाउंडेशन के वित्तीय मामलों की गहन जांच करे.


संजय राउत ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि श्रीकांत शिंदे फाउंडेशन के जरिए जरूरतमंदों को नकद मदद की जाती है और कई भव्य मनोरंजन कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जिनकी लागत करोड़ों में होती है. हाल ही में 'चंदा दो धंधा' लो का मामला देश में काफी सुर्खियों में रहा है. यह गंभीर है और संजय राउत ने पत्र में मांग की है कि तुरंत मामला दर्ज किया जाए और लगभग 500 से 600 करोड़ के की जांच तुरंत ईडी, सीबीआई को सौंपी जाए और अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए.




संजय राउत ने पत्र में क्या लिखा?
संजय राउत ने लिखा, "पिछले 10 वर्षों से आप देश में भ्रष्टाचार और काले धन के लेन-देन को खत्म करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. यही आश्वासन आपने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी जनता को दिया था. उस संदर्भ में, मैं आपके ध्यान में महाराष्ट्र में एक व्यवसाय ला रहा हूं जो काले धन को सफेद करता है और सामाजिक कार्यों के नाम पर आपराधिक गतिविधियों के माध्यम से प्राप्त धन को सफेद धन में परिवर्तित करता है."


"श्रीकांत शिंदे फाउंडेशन के सामाजिक कार्यों को लेकर इस समय काफी राजनीतिक हलचल है. एक जाने-माने वकील, नितिन सातपुते ने, ठाणे चैरिटी कमिश्नर के पास एक शिकायत दर्ज कर फाउंडेशन के वित्तीय लेनदेन की गहन जांच का अनुरोध किया है. हालांकि, शिकायत दर्ज होने के एक महीने बीत जाने के बाद भी, ठाणे चैरिटी कमिश्नर ने इसे स्वीकार तक नहीं किया है. ऐसा प्रतीत होता है कि चैरिटी कमिश्नर पर राजनीतिक दबाव के कारण वे सूचना के अधिकार कानून के तहत भी जानकारी देने को तैयार नहीं हैं."


महाराष्ट्र में समाज सेवा का एक लंबा इतिहास रहा है. कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संस्थागत प्रयास किये हैं, यहां तक कि कई बार अपना बलिदान भी दिया है. इसलिए, यदि श्रीकांत शिंदे फाउंडेशन वास्तव में सामाजिक, सांस्कृतिक कार्य कर रहा है, तो इस पर आपत्ति करने का कोई कारण नहीं है. फाउंडेशन कई शैक्षिक, चिकित्सा, सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पहल करने का दावा करता है, जो सभी बड़े पैमाने पर हैं. हालांकि यह काम सराहनीय है, लेकिन इन भव्य उपक्रमों पर खर्च किए गए सैकड़ों करोड़ रुपये के स्रोत की जांच की जानी चाहिए. वे परोपकारी कौन हैं जिन्होंने इस उद्देश्य के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये का दान दिया? नागरिक यह जानने के पात्र हैं."


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