Sanjay Raut Saamana on Tahawwur Rana: 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मुख्य आरोपियों में से एक तहव्वुर राणा को भारत वापस लाए जाने के बाद NIA कोर्ट ने उसे अरेस्ट कर लिया है. अब आतंकी हमले के मास्टरमाइंड राणा को 18 दिन की रिमांड में लेकर उससे पूछताछ जारी है. इस बीच उद्धव ठाकरे गुट के मुखपत्र सामना में सरकार से सवाल किए गए हैं. 

संजय राउत ने सामना के संपादकीय में पीएम मोदी की केंद्र सरकार से सवाल किया है, 'कुलभूषण जाधव के बारे में क्या?' सामना में लिखा गया है, "प्रधानमंत्री मोदी के अस्तित्व के चलते देश में कई चीजें अपने आप हो रही हैं. यानी घटनाएं घटती जाती हैं और फिर उनके भक्तों द्वारा यह घोषणा कर दी जाती है कि ‘यह मोदी के कारण हुआ है.’ कंगना बेन ने एलान कर ही दिया है कि मोदी कोई आम इंसान नहीं हैं. वे अवतारी पुरुष हैं. इसलिए मोदी कुछ भी कर सकते हैं."

'मोदी न होते तो भारत नहीं लाया जाता राणा?'- संजय राउतसामना में आगे लिखा गया है, "26/11आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को एनआईए ने गिरफ्तार कर लिया. भारत भर में भक्त और भजन मंडलियां राणा के प्रत्यर्पण का जश्न मना रही हैं.गृहमंत्री अमित शाह ने कह दिया, ‘राणा का प्रत्यर्पण मोदी सरकार की कूटनीति की बड़ी सफलता है. मोदी सरकार भारत के स्वाभिमान, भूमि और लोगों पर हमला करनेवालों को दंडित करने के लिए प्रयत्नशील है.’ कुल मिलाकर, इन लोगों को लगता है कि अगर मोदी न होते तो राणा को भारत को नहीं सौंपा जाता."

मनमोहन सिंह के समय से चल रही लड़ाईसंजय राउत ने आगे लिखा कि राणा को भारत लाने की लड़ाई मनमोहन सरकार के समय से ही चल रही है. उस वक्त भारत ने राणा के प्रत्यर्पण की मांग की थी. राणा ने भारत की मांग को अमेरिकी अदालत में चुनौती दी थी. ये सभी मामले अमेरिकी अदालत में 18 साल तक चले. इस लंबी अदालती लड़ाई के हर चरण में, भारत ने अपना पक्ष रखा और राणा का आवेदन खारिज कर दिया गया और अंतत: अपराधी भारत को सौंपना पड़ा. यह दोनों देशों के बीच एक कानूनी और राजनीतिक प्रक्रिया है.

'श्रेय लेकर कर रहे मौज'सामना में लिखा गया कि पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. उनके साथ वास्तव में क्या हुआ, यह जानने का कोई तरीका नहीं है. इस मामले में मोदी-शाह आदि की कूटनीति या ‘दादागिरी’ क्यों काम नहीं कर रही? अगर कुलभूषण जाधव को वापस लाया गया तो भारत की जनता उत्सव मनाएगी और मोदी-शाह का कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ा देगी. राणा को लाना आसान था, लेकिन कुलभूषण जाधव को लाना एक साहसिक कार्य है.

इसपर संजय राउत ने सवाल किया कि क्या यह संभव होगा? पुलवामा हमले में 40 जवान शहीद हो गए. उस हमले के असली गुनहगारों का पता नहीं चल पाया है. राणा भारत आया क्योंकि अमेरिका को उसकी जरूरत नहीं थी. भारत अपना मामला खुद देख लेगा. असल में राणा की जरूरत है बिहार, पश्चिम बंगाल चुनाव में मोदी की कूटनीति का गुणगान करने के लिए.