शिवसेना (यूबीटी) सांसद और सामना के कार्यकारी संपादक संजय राऊत ने अपने साप्ताहिक कॉलम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हालिया भारत दौरे को लेकर सुरक्षा व्यवस्था, लोकतांत्रिक परंपराओं और विदेश नीति पर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

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संजय राऊत ने लिखा कि 4 दिसंबर को पुतिन के दिल्ली आगमन के दौरान पूरी राजधानी की सड़कें बंद कर दी गईं. पहले से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की आवाजाही की वजह दिल्ली में जाम आम बात है, ऐसे में पुतिन के दौरे ने आम लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दीं. उन्होंने कहा कि शाह कृष्णा मेनन रोड और आसपास की सड़कों के बंद होने से लोगों को भारी दिक्कत हुई.

राऊत ने तंज कसते हुए लिखा कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आरती उतारी थी और अब पुतिन की आरती उतारते नजर आए. उन्होंने इसे मजेदार लेकिन चिंताजनक बताया. उनका कहना है कि इस तरह की राजनीति देश के सम्मान से ज्यादा नेताओं की छवि चमकाने पर केंद्रित है.

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राष्ट्रपति भवन में कालीन विवाद

सामना में यह भी लिखा गया कि पुतिन के स्वागत के लिए राष्ट्रपति भवन में तंबूवालों से कालीन किराए पर लेने पड़े. राऊत ने सवाल उठाया कि क्या राष्ट्रपति भवन में इतने बड़े विदेशी मेहमान के स्वागत के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं थे. उन्होंने इसे देश की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा करने वाला बताया.

राऊत ने कहा कि रूस कभी भारत का सबसे भरोसेमंद दोस्त रहा है, लेकिन मौजूदा हालात में रूस ज्यादा चीन के करीब नजर आता है. उन्होंने यह भी लिखा कि अमेरिका और रूस दोनों ही भारत को अपना सामान बेचने में रुचि रखते हैं. कोई हथियार, तो कोई तेल. उनका आरोप है कि कमजोर अर्थव्यवस्था के कारण भारत का शोषण हो रहा है.

एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी

पुतिन के दौरे के दौरान देश के कई हवाई अड्डों पर अव्यवस्था रही. हजारों यात्री फंसे रहे और उड़ानें रद्द हुईं. राऊत के मुताबिक दुनिया ने एक तरफ मोदी-पुतिन की दोस्ती की तस्वीरें देखीं, तो दूसरी तरफ भारत की बदहाल व्यवस्थाएं भी.

विपक्ष को नजरअंदाज करने का आरोप

संजय राऊत ने सबसे बड़ा सवाल लोकतंत्र को लेकर उठाया. उन्होंने कहा कि पुतिन के सम्मान में आयोजित भोज में विपक्षी नेताओं को नहीं बुलाया गया. राहुल गांधी के बयान का हवाला देते हुए उन्होंने इसे लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ बताया. उनका कहना है कि पहले विदेशी मेहमान विपक्षी नेताओं से भी मिलते थे, लेकिन मोदी सरकार में यह परंपरा खत्म कर दी गई.

राऊत ने रूस और भारत की तुलना करते हुए कहा कि रूस में विपक्ष लगभग खत्म हो चुका है और भारत भी उसी राह पर बढ़ता दिख रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने विपक्ष की आवाज दबाकर खुद ही लोकतंत्र को कमजोर किया है.