महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जहां राजनीतिक पार्टियों का विभाजन हमेशा से चर्चा में रहा है. अब चाहे वो बेबाकी और कट्टर हिंदुत्व की राजनीति के नाम से मशहूर बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना हो या शरद पवार की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP), दोनों ही पार्टियों के अलग होने के बाद राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं.

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अब सवाल ये उठता है कि मूल पार्टियों से ही अलग होने के बाद नई पार्टियों के द्वारा 'असली' होने का दावा कहां तक सही है. आइए इस सवाल का जवाब आगामी बीएमसी चुनाव से पहले हुए नगर निकाय चुनाव के नतीजों के आधार पर ढूंढने की कोशिश करते हैं. इसमें ये भी देखना आवश्यक है कि चुनाव आयोग, राज्य विधानसभा स्पीकर और सुप्रीम कोर्ट ने अब तक क्या माना है.

शिवसेना की अब तक की स्थिति क्या है?

दिसंबर 2025 तक चुनाव आयोग ने 2023 में एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना माना है और उन्हें मूल नाम शिवसेना के साथ धनुष-बाण चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया है. इसके बाद उद्धव ठाकरे गुट को शिवसेना (UBT) या शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नाम से अलग पहचान मिली और उन्हें मशाल चुनाव चिन्ह दिया गया. महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर ने भी 2024 में अपने फैसले में शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना था. यह फैसला कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया के तहत लिया गया.

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चुनावी प्रदर्शन के अनुसार क्या है तस्वीर?

2024 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना (शिंदे गुट) ने 7 सीटें जीती साथ ही कुल वोट के 12.2% हासिल किए. वहीं शिवसेना (UBT)- उद्धव ठाकरे गुट ने कुल 9 सीटें जीती और वोट प्रतिशत के  16.1% हासिल किए. देखा जाए तो मुकाबला टक्कर का ही रहा लेकिन ऊपरी बढ़त UBT ने बनाई. अब बात करें NCP की तो शरद पवार की पार्टी ने 8 सीटें जीती और वोट के 10.8% हासिल किए. वहीं एनसीपी (अजित पवार गुट) ने 1 सीट के साथ 5.1% वोट शेयर.

महायुति ने 288 में से 215 सीटें जीती, जिसमें शिंदे गुट की शिवसेना को 51 सीटें मिली, और अजीत पवार की एनसीपी ने 35 सीटें मिली. वहीं दूसरी तरफ, MVA के खाते में कुल 51 सीटें आई जिसमें शिवसेना (UBT) को केवल 9 और NCP (SP) को 7 से ही संतोष करना पड़ा.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना Vs शिवसेना

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 75 सीटों पर चुनाव लड़ा था और अन्य 6 सीटों पर अपने ही सहयोगी दलों के साथ फ्रेंडली फाइट की थी. इनमें से शिवसेना ने कुल 57 सीटें जीती थीं, जो पिछले चुनाव के मुकाबले 19 ज्यादा थीं. वहीं, उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी ने 90+5 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से केवल 20 सीटें जीत सकी थी. ये बीते चुनाव के मुकाबले फिर भी चार सीटें ज्यादा ही थीं. 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एनसीपी बनाम एनसीपी

दूसरी ओर, अजित पवार की एनसीपी ने 50+9 सीटों पर चुनाव लड़ा ता, जिनमें से कुल 40 सीटें उनके खाते में आ गई थीं. अजित पवार ने भी बीते चुनाव से एक सीट ज्यादा ही पाई थी. शरद पवार का हाल विधानसभा चुनाव में ही खराब हो गया था.  उनकी पार्टी ने सीटें तो 85 लड़ी थीं, लेकिन जीत केवल 10 सीटों पर ही मिल सकी थी

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?

राजनीतिक विश्लेषक अभिषेक सिंह के अनुसार, महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों से यह स्पष्ट हो गया है कि असली एनसीपी अजित पवार के पास है और असली शिवसेना एकनाथ शिंदे के पास. बारामती में अजित पवार गुट ने 41 में से 35 सीटें जीतीं, जबकि शरद पवार गुट को सिर्फ 1 सीट मिली, जिससे सुप्रिया सुले के भविष्य पर भी सवाल खड़े हो गए हैं.

सिंह ने एबीपी लाइव से कहा कि राज्यभर में कांग्रेस के लगभग 1000 नगरसेवक और 35 नगरपालिका अध्यक्ष चुने गए हैं, जिससे भाजपा के बाद कांग्रेस दूसरे नंबर पर है, लेकिन भाजपा अलग रणनीति से विपक्ष को कमजोर कर रही है. आने वाले नगर निगम चुनावों में उद्धव ठाकरे का राज ठाकरे के साथ जाना कांग्रेस के लिए नुकसानदायक हो सकता है. वहीं, बीएमसी में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनने की ओर है और यदि उद्धव ठाकरे अपना वोटबैंक नहीं संभाल पाए, तो उनकी पार्टी मुंबई तक सीमित रह सकती है.

उद्धव ठाकरे की भूमिका हिंदुत्व के खिलाफ- संजय निरुपम

इस मामले में शिवेसना शिंदे के नेता ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि संजय निरुपम ने कहा कि महाराष्ट्र का मराठी मानुस और शिवसैनिक उद्धव ठाकरे की भूमिका को हिंदुत्व के खिलाफ मानते हैं, इसलिए असली शिवसेना को लेकर जनता ने अपना फैसला सुना दिया है. उनका दावा है कि बालासाहेब ठाकरे के विचारों की असली शिवसेना वही है और इसी विश्वास के साथ शिवसेना गांव-गांव तक मजबूत संगठन के रूप में खड़ी है. उन्होंने कहा कि 29 महानगरपालिकाओं में गठबंधन के तहत चुनाव लड़े जा रहे हैं, जिनके लिए नामांकन शुरू हो चुके हैं.

निरुपम के अनुसार, इस चुनाव में भाजपा पहले और शिवसेना दूसरे स्थान पर रही, जबकि शिवसेना की स्ट्राइक रेट 55 प्रतिशत रही. BJP ने 63 प्रतिशत स्ट्राइक रेट के साथ 117 नगराध्यक्ष जिताए, वहीं अजित पवार गुट को 54 प्रतिशत सफलता मिली. इसके मुकाबले शिवसेना UBT को केवल 18.5 प्रतिशत स्ट्राइक रेट मिली और 288 में से सिर्फ 9 नगराध्यक्ष ही चुने जा सके.

दिसंबर 2025 तक उपलब्ध कानूनी फैसलों, चुनाव आयोग की मान्यता, विधानसभा स्पीकर के आदेश और हालिया चुनावी प्रदर्शन के आधार पर शिवसेना में एकनाथ शिंदे गुट और एनसीपी में अजीत पवार गुट को ही असली माना जा रहा है. हालांकि अंतिम और निर्णायक फैसला सुप्रीम कोर्ट जनवरी 2026 में देगा. इसके बावजूद जनता का रुझान और हाल के चुनावी नतीजे दोनों ही मामलों में शिंदे और अजीत पवार गुट के पक्ष में ज्यादा झुके हुए नजर आते हैं.