महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने बुधवार (10 दिसंबर) को पूर्व स्पीकर और सीनियर कांग्रेस विधायक नाना पटोले की राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की मांग को खारिज कर दिया. पटोले ने राज्य में हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर 'अराजकता और अनियमितताओं' का आरोप लगाया है. 

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स्पीकर ने अपने फैसले में कहा कि पटोले की मांग राज्य विधानसभा के दायरे से बाहर थी और हाई कोर्ट के जज पर महाभियोग से जुड़े हाल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप नहीं थी. पटोले ने एसईसी पर 'दिन दहाड़े लोकतंत्र का गला घोंटने' का आरोप लगाया और दावा किया कि मतदाताओं के बीच भ्रम और परेशानी एसईसी की गैर-जिम्मेदारी के कारण थी. 

नाना पटोले ने महाभियोग को लेकर क्या दिया तर्क?

उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 243 का हवाला देते हुए तर्क दिया कि अगर अनियमितताओं को स्वीकार किया जाता है, तो महाभियोग की कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए. कांग्रेस नेता ने तर्क दिया कि चूंकि मुख्यमंत्री ने खुद अनियमितताओं की अभूतपूर्व प्रकृति को स्वीकार किया है, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत महाभियोग की कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए.

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कांग्रेस ने सरकार को प्रस्ताव लाने की दी थी चुनौती

उन्होंने पहले सत्तारूढ़ महायुति सरकार को सार्वजनिक रूप से प्रस्ताव लाने की चुनौती दी थी, यह कहते हुए कि अगर वे कार्रवाई करने में विफल रहते हैं, तो इसका मतलब होगा कि वे 'एसईसी को बचा रहे हैं. हाल ही में, सीएम फडणवीस ने राज्य भर के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में स्थानीय निकाय चुनावों को 20 दिसंबर तक स्थगित करने के एसईसी के फैसले पर नाराजगी व्यक्त की. 

'एक दिन पहले चुनाव स्थगित का प्रावधान नहीं'

उन्होंने कहा, ''मुझे समझ नहीं आ रहा है कि वे ऐसा करने के लिए नियमों की व्याख्या कैसे कर रहे हैं. मैंने एक वकील सहित कई विशेषज्ञों से बात की है, और जहां तक ​​मुझे पता है, चुनाव निर्धारित होने से एक दिन पहले चुनाव स्थगित करने का कोई प्रावधान नहीं है.''

लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अराजकता फैल गई- शिवसेना यूबीटी

शिवसेना (यूबीटी) ने 24 नगर परिषदों और 76 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के 154 वार्डों में मतदान शुरू होने से ठीक पहले चुनावों को 20 दिसंबर तक अचानक स्थगित करने के लिए एसईसी की आलोचना की, यह कहते हुए कि यह कदम एक सोची-समझी राजनीतिक चाल है. पार्टी ने कहा था, महाराष्ट्र में लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अराजकता फैल गई है. एसईसी ने साबित कर दिया है कि उसका दिमाग सही जगह पर नहीं है, और उसके पास इतनी अचानक चुनाव स्थगित करने का अधिकार नहीं है.