ऑल पार्टी डेलीगेशन का हिस्सा उद्धव ठाकरे गुट की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी बर्लिन पहुंची. डेलीगेशन के तहत कई देशों की यात्रा करने के बाद अपने अनुभव शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि हम बहुत सारे ऑफिशियल्स से मिले. हमने अपनी बातें रखीं. हमने ये नहीं कहा कि हम कोई मदद मांगने आए हैं. हम ये बताने आए हैं कि जो आतंकी माहौल इतने दशकों से हम सह रहे हैं, वो आपके घरों में भी आएगा.
'ये इंडिया-पाकिस्तान की बात नहीं'
न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत में प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "ये इंडिया-पाकिस्तान की बात नहीं है. ये टेररिज्म की बात है. जो टेररिज्म पूरी दुनिया में फैल रहा है और जिसको रोकने की जिम्मेदारी दुनिया की बनती है, वो पाकिस्तान से ही आ रहा है. मैसेज सब काफी अच्छे से समझे हैं. कल हमारी जर्मनी के फॉरेन मिनिस्टर से मुलाकात हुई. उनका भी यही मानना था कि हमें आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस दिखाना चाहिए. उनका पूरा समर्थन हमारे साथ है."
'दिन भी देशों में हम गए, समर्थन साथ रहा'
शिवसेना (यूबीटी) की सांसद ने आगे कहा, "दिन भी देशों में हम गए, समर्थन साथ रहा. इन्हीं सारी चीजों के साथ हम वापस देश में जाएंगे. जी हां, मैं विपक्ष में हूं. सरकार से सवाल पूछूगीं. लेकिन जहां तक आतंक का मामला है हम सब एकजुट होकर मिसाल कायम की है. ये एक स्पेशल अनुभव रहा."
'हम महात्मा गांधी और बुद्ध की भूमि से हैं लेकिन...'
वहीं बर्लिन में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, "हम महात्मा गांधी और बुद्ध की भूमि से हैं. लेकिन हम कृष्ण की भूमि से भी हैं. जब-जब अधर्म होगा, धर्म स्थापित करने के लिए अगर हमें लड़ाई लड़नी पड़ेगी, आतंकियों से लड़ाई लड़ना पड़ेगा, हम वो लड़ाई लड़ेंगे. हम बिल्कुल नहीं हिचकेंगे. ये हमारे देश का संदेश रहा है. सदियों से रहा है. बहुत आए बहुत गए, सबको हमने जवाब दिया है."
'पाकिस्तान को काउंटर टेररिज्म की वाइस चेयरमैनशिप मिली'
इसके आगे उन्होंने कहा, "हमने ऑपरेशन सिंदूर किया. अपने ही देश में रहकर हमारी आर्म्ड फोर्सेज ने आतंकी जगहों पर हमले किए. ये आतंकी जगह हमारे देशवासियों ने नहीं निर्धारित किए, यूनाइटेड नेशंस ने निर्धारित किए हैं. यूनाइनेट नेशंस का काम हम कर रहे हैं. दो साल के अभी यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल का हिस्सा पाकिस्तान बन रहा है. UNSC को अच्छी तरह से पता है कि 51 आतंकवादी पाकिस्तान में रहते हैं. उनको (पाकिस्तान) काउंटर टेररिज्म की वाइस चेयरमैनशिप मिली है. ये ऐसा है जैसे मसूद अजहर और हाफिज सईद से कहो कि चलिए आप ग्लोबल पीस एंड जस्टिस की लड़ाई लड़ें."