Lok Sabha Elections 2024: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सभी सियासी दलों के नेता प्रचार अभियान में जुटे हैं. इस बीच बीड लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार पंकजा मुंडे ने शुक्रवार (22 मार्च) को कहा कि वह आम चुनाव नहीं लड़ना चाहती थीं. वो सिर्फ महाराष्ट्र में लोगों के लिए काम करना चाहती थीं. पंकजा मुंडे का पड़ोसी अहमदनगर जिले से बीड में एंट्री करने के बाद धामनगांव में जोरदार स्वागत किया गया. इस दौरान बीजेपी उम्मीदवार पंकजा मुंडे ने कहा कि प्रदेश की जनता उन्हें प्यार करती है और काफी सोच समझकर निर्णय लेना होगा.


पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक पंकजा मुंडे ने आगे कहा कि कुछ लोगों ने सोचा था कि 2019 विधानसभा चुनाव में परली से हार के बाद मेरी दुकान बंद हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं है. उन्होंने दावा किया कि राजनीति करते वक्त वोटों का गणित अलग होता है.


प्रचार में जाति का जिक्र दुर्भाग्यपूर्ण- पंकजा मुंडे


इससे पहले पंकजा मुंडे ने कहा कि अगर प्रचार के दौरान उनकी जाति का जिक्र किया जाता है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. मैंने कभी काम करते समय लोगों की जाति नहीं देखी. मैंने उन गांवों को भी करोड़ों की धनराशि दी, जहां से मुझे एक भी वोट नहीं मिले. मुंडे ने कहा कि उन्होंने अपने पार्टी सहयोगी और पुणे लोकसभा उम्मीदवार मुरलीधर मोहोल और अहमदनगर के नेताओं से मुलाकात की और उन्हें नहीं लगा कि महाराष्ट्र में जातिवाद है. हालांकि, बीड लोकसभा अभियान शुरू करने के बाद अगर मेरी जाति को लेकर बात आती है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है.


मराठा आरक्षण को लेकर क्या बोलीं पंकजा मुंडे


पंकजा मुंडे ने यह भी दावा किया कि मराठा आरक्षण आंदोलन का उनकी चुनावी संभावनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. गोपीनाथ मुंडे (उनके पिता और दिवंगत बीजेपी नेता) ने कहा था कि मराठों को आरक्षण दिया जाना चाहिए. संभावना है कि ये काम मुझे ही पूरा करना होगा. उन्होंने कहा कि लोगों को झूठे प्रचार का शिकार नहीं होना चाहिए. ओबीसी के अधिकारों की रक्षा करते हुए मराठा समुदाय की रक्षा करना भी मेरा कर्तव्य है. उन्होंने दावा किया कि मैंने कभी भी जाति को लेकर राजनीति नहीं की है, इसलिए सभी समुदायों के लोगों को मुझ पर भरोसा है.


बता दें कि पंकजा मुंडे महाराष्ट्र में पिछली देवेंद्र फडणवीस सरकार में मंत्री थीं. 2019 के विधानसभा चुनाव में परली से अपने चचेरे भाई और एनसीपी नेता धनंजय से चुनाव हार गईं थीं.


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