शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को साफ किया कि विपक्ष मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ग्यानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर चुका है. उन्होंने कहा कि सीईसी बीजेपी के प्रवक्ता की तरह व्यवहार कर रहे हैं और उनकी भाषा लोकतंत्र के लिए अस्वीकार्य है. संजय राउत ने यह भी कहा कि इस सबके पीछे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का समर्थन है.

चुनाव आयुक्त पर धमकियां देने का आरोप 

संजय राउत ने कहा, “मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी विपक्ष ने शुरू कर दी है. इसमें कोई दोराय नहीं. जिस तरह से हमारे मुख्य चुनाव आयुक्त भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं, वह लोकतंत्र में ठीक नहीं है."

उन्होंने कहा कि "मुख्य चुनाव आयुक्त लीडर ऑफ ऑपोजीशन राहुल गांधी को सीधे-सीधे चुनौती और धमकी देने की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि उनके पीछे अमित शाह का हाथ है.”

राउत ने आगे कहा कि सीईसी का अनुभव और उनकी नजदीकी बीजेपी नेताओं से लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा कर रही है. उन्होंने पहले के चुनाव आयुक्त राजीव कुमार का भी जिक्र किया और कहा कि उनका हाल फिलहाल देश के बाहर किसी यूरोपीय देश में है.

राउत ने चुनाव आयोग पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि लोकतंत्र में धमकाना किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने बताया, “धमकाने की बात अगर आती है तो हम विपक्ष में हैं. लेकिन हम जिम्मेदारी से बोलते हैं. हम भी बेहतर शब्दों का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन लोकतंत्र की मर्यादा बनाए रखते हैं. यह धमकाना और दबाव लोकतंत्र में नहीं चलेगा.”

उन्होंने कहा कि सीईसी का गृहमंत्रालय के अधिकारियों से कनेक्शन और बीजेपी नेताओं से नजदीकी, उनके रवैये को प्रभावित कर रही है. यह स्थिति विपक्ष के लिए चुनौतीपूर्ण है, लेकिन वे पीछे नहीं हटेंगे.

उपराष्ट्रपति चुनाव पर NDA उमीदवार को घेरा

संजय राउत ने उपराष्ट्रपति चुनाव के बारे में भी टिप्पणी की और अफवाहों को खारिज किया कि चुनाव बिना मुकाबले के होगा. उन्होंने कहा, “हम चुनाव लड़ेंगे और जल्द ही अपने उम्मीदवार का नाम तय करेंगे. जो अफवाहें बाहर हैं कि चुनाव निर्विरोध होगा, वह सही नहीं हैं. हम यह चुनाव निर्विरोध नहीं होने देंगे."

उन्होंने कहा कि "हमारे झारखंड के अनुभव को देखते हुए यह और भी जरूरी है. एनडीए के उम्मीदवार के साथ अनुभव डरावना और कटु रहा है. हेमंत सोरेन, जो उस समय झारखंड के मुख्यमंत्री थे, को गिरफ्तार करने में राज्यपाल राधाकृष्णन का बड़ा हाथ रहा. यह गंभीर मामला है और हम इसे नजरअंदाज नहीं करेंगे.”