Maharashtra News: महाराष्ट्र के मेडिकल छात्रों को अब उन कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में 12 महीने की अनिवार्य इंटर्नशिप पूरी करनी होगी, जहां उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई की है. महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयूएचएस) ने मंगलवार को राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एनएमसी) द्वारा जारी नए इंटर्नशिप दिशानिर्देशों का पालन करते हुए एक सर्कुलर जारी किया. 

क्या था पुराना नियमपुराने नियम के अनुसार छात्र किसी भी मेडिकल कॉलेज या विश्वविद्यालय से जुड़े अस्पतालों में  इंटर्नशिप कर सकते थे, लेकिन अब उन्हें अपने ही कॉलेज से जुड़े अस्पताल में इंटर्नशिप करनी होगी. इस प्रक्रिया को एमयूएचएस ने अनुमति दी थी, लेकिन अब एनएमसी ने इस प्रकिया पर रोक लगा दी है. एनएमसी की संशोधित इंटर्नशिप गाइडलाइंस के बाद एमयूएचएस ने 2 मई को एक सर्कुलर जारी किया और कहा कि सर्कुलर की तारीख से यह प्रक्रिया बंद हो जाएगी.

सर्कुलर में कहा गया है कि सभी कॉलेजों को सूचित किया जाता है कि मेडिकल कॉलेज को इंटनर्शिप के लिए बदलने की प्रक्रिया जिसे 2012 में शैक्षणिक अधिसूचना में संशोधन के अनुसार अनुमति दी गई थी, अब डिग्री पाठ्यक्रमों के लिये रोक दी जाएगी. यह सर्कुलर जारी करने की तारीख से लागू होगा.

इंटर्नशिप के लिए मनचाहा अस्पताल नहीं चुन पाएंगे छात्र

एनएमसी के इस फैसले से छात्र इंटर्नशिप के लिए अपनी पंसद का अस्पताल नहीं चुन पाएंगे. अब से पहले छात्रों के बीच एक्सटर्नशिप  के लिए ऐसे ऐसे कॉलेजों को चुनने का चलन था जहां अधिक मात्रा में रोगी आते हों, ताकि उन्हें ज्यादा से ज्यादा एक्सपोजर मिल सके. चिकित्सा शिक्षा के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना जहां एक मेडिकल कॉलेज स्थित है, मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी देने के उद्देश्यों में से एक था. इसका मतलब है कि कॉलेज उन क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराएगा. ट्रांसफर प्रक्रिया के कारण कुछ मेडिकल कॉलेज अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान नहीं करते थे जिनमें रोगियों के इलाज के लिए  योग्य डॉक्टर का न होना शामिल था, लेकिन अब सभी कॉलेजों को अनिवार्य रूप से छात्रों को इंटर्नशिप के लिए ठीक से काम करने वाला अस्पताल उपलब्ध कराना होगा.

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