राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि जब उनकी पार्टी बीजेपी नीत गठबंधन में शामिल हुई थी, उस वक्त ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को साफ बता दिया गया था कि एनसीपी 'फुले-शाहू-अंबेडकर' की विचारधारा से कोई समझौता नहीं करेगी.
गौरतलब है कि अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी विधायकों का एक बड़ा गुट 2023 में शरद पवार की अविभाजित पार्टी से अलग हो गया था. इसके बाद यह गुट बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के साथ मिलकर सत्ता में शामिल हो गया. इसी पृष्ठभूमि में प्रफुल्ल पटेल का यह बयान सामने आया है.
पीएम मोदी से मुलाकात में रखी शर्त
प्रफुल्ल पटेल ने एक कार्यक्रम में कहा, “जब हम पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिले थे, तो हमने स्पष्ट कर दिया था कि आपकी विचारधारा चाहे जो भी हो, हम आपके साथ हैं. लेकिन हम फुले-शाहू-अंबेडकर की विचारधारा पर कायम रहना चाहते हैं. हम उसी के अनुसार काम करेंगे और इस मामले में कोई समझौता नहीं होगा.”
पटेल का यह बयान उस समय आया है जब विपक्ष लगातार यह सवाल उठा रहा है कि एनसीपी (अजित पवार गुट) सत्ता में रहकर अपनी विचारधारा को कैसे कायम रखेगी?
प्रफुल्ल पटेल ने इस पर दो टूक जवाब दिया है कि सरकार में रहते हुए भी उनकी पार्टी समाज सुधारक ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज और डॉ. भीमराव अंबेडकर की नीतियों और मूल्यों पर ही आगे बढ़ेगी.
विपक्ष पर भी निशाना
हालांकि, प्रफुल्ल पटेल ने सीधे तौर पर किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका बयान विपक्ष को जवाब देने वाला माना जा रहा है. विपक्षी दल लगातार कह रहे हैं कि सत्ता में शामिल होकर एनसीपी अपनी पहचान खो रही है. पटेल ने साफ कर दिया कि गठबंधन में रहने का मतलब यह नहीं है कि पार्टी अपनी बुनियादी सोच छोड़ दे.
आने वाले चुनावों पर नजर
यह बयान आगामी चुनावों को देखते हुए भी अहम है. महाराष्ट्र में ओबीसी और दलित समुदाय पर पकड़ मजबूत करना सभी दलों के लिए जरूरी है. ऐसे में एनसीपी की ओर से 'फुले-शाहू-अंबेडकर' की विचारधारा पर जोर देना एक तरह से चुनावी रणनीति भी माना जा रहा है.