महाराष्ट्र के सबसे बड़े पर्व गणेशोत्सव में इस बार गणेश पंडालों में सेना के शौर्य की झलक दिखाई जा रही है. भारतीय सेना को सलामी देती ऑपरेशन सिंदूर की झांकी ने लोगों को खूब आकर्षित कर रही है, लेकिन इसी झांकी को लेकर अब सियासत भी गरमा गई है.
विपक्ष ने बीजेपी पर जानबूझकर गणेश उत्सव में ऑपरेशन सिंदूर के नाम सियासत का आरोप लगा रही है, जबकि बीजेपी इसे युवाओं के लिए प्रेरणा बता रही है. सवाल ये है कि क्या ऑपरेशन सिंदूर की गाथा की घर घर तक पहुंचकर बीजेपी निकाय चुनाव में भी राष्ट्रवाद की एंट्री करा रही है?
'अमेरिका के टैरिफ की भी झांकी लगाएं'
विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी धार्मिक उत्सव में सेना का नाम लेकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है. शिवसेना यूबीटी प्रवक्ता आनंद दुबे का कहना है कि अगर झांकी ही लगानी है तो अमेरिका के भारत पर लगाए गए टैरिफ की भी झांकी लगाइए, ताकि जनता असली मुद्दों से वाकिफ हो.
ऑपरेशन सिंदूर की झांकी से विपक्ष को दिक्कत क्यों- बीजेपी
उधर बीजेपी ने विपक्ष के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है. बीजेपी का कहना है की लोकमान्य तिलक की संकल्पना को साकार किया जा रहा है . पार्टी नेताओं ने कहा कि विपक्ष सेना के पराक्रम को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है. बीजेपी विधायक और प्रवक्ता राम कदम ने कहा कि अगर ऑपरेशन सिंदूर की झांकी से युवा प्रेरणा ले रहे हैं तो विपक्ष को इसमें दिक्कत क्यों है?
आयोजकों ने क्या कहा?
वहीं गणपति पंडालों के आयोजकों का कहना है कि हम किसी पार्टी के नहीं बल्कि गणपति बप्पा के कार्यकर्ता हैं, जो ऑपरेशन सिंदूर की झांकी के माध्यम से सेना का अभिवादन कर रहे है. आज का भारत अलग और आत्मनिर्भर है जिसकी सेना के शौर्य से बच्चे प्रेरणा ले रहे है.
मचा सियासी बवाल
गणेशोत्सव की भव्यता और श्रद्धा के बीच यह झांकी अब प्रेरणा और राजनीति दोनों का विषय बन गई है. सवाल बड़ा है. क्या सेना का शौर्य धार्मिक आयोजनों में दिखाना राजनीतिक मकसद है, या फिर युवा पीढ़ी को देशभक्ति का संदेश देने का तरीका?