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देश मे डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ते जा रहे हैं और सरकारें लोगों को लगातार डिजिटल अरेस्ट वाले जाल में ना फंसे इसके लिए लगातार समझा बुझा भी रहे हैं, इसके बावजूद कई लोग डिजिटल अरेस्ट के जाल में फंस जा रहे हैंमहाराष्ट्र में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां सायबर ठग लोगों से ठगी करने के लिए IPS अधिकारी होने का दावा करते हैं. उन आईपीएस में महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो में पोस्टेड ADG विश्वास नागरे पाटिल, नवी मुंबई पुलिस कमिश्नर मिलिंद भराम्बे और NIA चीफ सदानंद दाते के नाम का इस्तेमाल होता नजर आ रहा है.

70 लाख रुपये ठगों द्वारा बताए खातों में कर दिए ट्रांसफर

मुंबई पुलिस के जोन 4 की डीसीपी रागसुदा आर ने बताया कि हाल ही के एक मामला सामने आया जहां ठगों ने 75 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक और आदित्य बिड़ला ग्रुप के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर को यह कहकर फंसा लिया कि कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले की जांच में उनका नाम सामने आया है. इस झूठे आरोप और गिरफ्तारी के डर से पीड़ित बुजुर्ग ने अपनी जीवनभर की कमाई में से 70 लाख रुपये ठगों द्वारा बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए. 25 सितंबर को दोपहर करीब 3:57 बजे पीड़ित को एक महिला का कॉल आया. उसने खुद को विनीता शर्मा बताते हुए एटीएस कंट्रोल रूम, नई दिल्ली की अधिकारी कहा. महिला ने दावा किया कि पीड़ित के मोबाइल नंबर और आधार कार्ड का इस्तेमाल संदिग्ध गतिविधियों में हुआ है.,"

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एक अधिकारी ने बताया कि इसी दौरान आरोपियों ने खुद को NIA चीफ और सीनियर आईपीएस अधिकारी सदानंद दाते बताया और ठगी कर ली. इस मामले में पुलिस जांच कर रही है और दो लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है.

'नहीं आये सायबर ठगों के झांसे में'

डीसीपी रागसुदा ने आगे बताया कि सिर्फ पुलिस ही नहीं ये आरोपी कभी कस्टम अधिकारी बनकर ड्रग्स मिलने की बात तो कभी आतंकी नेटवर्क के लिंक होने का दावा कर लोगों को ठगते हैं, हम यह बताना चाहते हैं कि डिजिटल अरेस्ट कोई पुलिस वाला नहीं करता अगर पुलिस को कोई करवाई करनी होगी तो वो फिजिकली आकर करवाई करेगा. इसलिए इन सायबर ठगों के झांसे में ना आये.

क्या कहा नवी मुंबई पुलिस कमिश्नर ने

वहीं नवी मुंबई पुलिस कमिश्नर मिलिंद भराम्बे ने abp न्यूज़ से कहा कि," डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान कानून में नहीं है. अगर कोई भी व्यक्ति आपको “डिजिटल अरेस्ट” करने की बात करता है, तो तुरंत उसका कॉल डिस्कनेक्ट कर दीजिए. समझ लीजिए कि वह एक साइबर ठग है. अगर आप उसकी बातों में आकर उसके बताए गए निर्देशों का पालन करेंगे, तो वह आपके बैंक अकाउंट से आपकी मेहनत की कमाई साफ कर सकता है.

उन्होंने आगे बताया कि," साइबर क्रिमिनल अक्सर IPS अधिकारियों के नाम का इस्तेमाल करते हैं ताकि आपको डरा सकें. उनका मकसद यही होता है कि अगर आप इंटरनेट पर उस नाम को खोजें, तो आपको लगे कि वास्तव में वह अधिकारी सेवा में मौजूद है और इस तरह आप ठग की बातों पर विश्वास कर लें.,"

'तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करें संपर्क'

नवी मुंबई पुलिस कमिश्नर भराम्बे ने कहा कि," मैं सभी से अपील करता हूं कि हमारी साइबर टीम ऐसे अपराधियों को पकड़ने में पूरी तरह सक्षम है. अगर गलती से भी आप इनके शिकार हो जाएं, तो तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें. हमारी टीम आपकी तुरंत मदद करेगी. इसके अलावा, आप अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन जाकर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं. एक बार फिर ध्यान रखिए, डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान कानून में नहीं है, और इस तरह के कॉल पुलिस कभी नहीं करती है.,"

वहीं महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर से एक ऐसा मामला सामने आया जहां साइबर ठगों ने तकनीक का खतरनाक इस्तेमाल करते हुए IPS अधिकारी विश्वास नांगरे पाटिल के नाम और चेहरे का सहारा लेकर एक शख्स से करीब 78 लाख रुपये की ठगी कर ली.

ठगों ने AI तकनीक का इस्तेमाल कर IPS विश्वास नांगरे पाटिल का फर्जी वीडियो कॉल बनाया. इसके जरिए पीड़ित को यह यकीन दिलाया गया कि कॉल असली है और मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है.

इसके बाद ठगों ने “डिजिटल अरेस्ट” का डर दिखाते हुए पीड़ित को धमकाया और कहा कि अगर वह उनकी बातों का पालन नहीं करेगा तो उसके खिलाफ गंभीर कार्रवाई हो सकती है. इस डर के कारण पूर्व अधिकारी ने ठगों द्वारा बताए गए खातों में बड़ी रकम ट्रांसफर कर दी.