महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले के वैजापुर तहसील के शिऊर गांव से एक बेहद सनसनीखेज़ और अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक बाबा अघोरी तरीकों से आम लोगों का इलाज कर रहा था. अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति और एबीपी न्यूज़ की टीम ने इस ढोंग की पोल खोल दी.

क्या करता था ये बाबा?

ये ढोंगी बाबा लोगों को बेवकूफ बनाकर इलाज के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा देता था. जैसे कि संतान नहीं होना, शादी में अड़चन आना, शराब की लत, भूत-प्रेत बाधा, इन सबका इलाज करने के नाम पर वह बाबा हैरान कर देने वाले अघोरी उपाय करता था. चाहे महिला हो या पुरुष, वह उन्हें-  

  • डंडे से मारता था
  • अपने जूते को उनके मुंह में पकड़वाता था और चबाने को कहता था
  • मंदिर के चक्कर कटवाता था
  • पेड़ की पत्तियां खाने को देता था
  • यहां तक कि खुद की पेशाब बोतल में भर कर लोगों को पीने के लिए मजबूर करता था.

जब एबीपी न्यूज़ की टीम और अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्यकर्ता गांव पहुंचे, तब तक बाबा वहां से भाग चुका था.

कैसे हुआ बाबा का पर्दाफाश?

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के एक सदस्य ने मरीज बनकर बाबा से 'उपचार' करवाया और जो कुछ वहां हो रहा था, वह सब सामने लाया. उसने बताया कि बाबा कैसे लोगों को डंडों से पीटता था और पेशाब पिलाता था. हमारे संवाददाता कृष्णा केंडे ने उस शख्स से बातचीत की.

पुलिस की भूमिका पर सवाल!

जब बाबा का दरबार चल रहा था, तभी अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्यकर्ता पुलिस स्टेशन पहुंचे और शिकायत दी. लेकिन तब तक बाबा अपने भक्तों के साथ वहां से फरार हो चुका था. चौंकाने वाली बात ये है कि घटनास्थल और पुलिस स्टेशन के बीच की दूरी सिर्फ डेढ़ किलोमीटर थी. अब सवाल उठता है कि बाबा को पुलिस के आने की जानकारी किसने दी? उसके अपराधों पर कौन पर्दा डाल रहा है?

कौन है ये ढोंगी बाबा?

  • नाम: संजय पगार
  • उम्र: 48 से 50 साल
  • पेशा: शादी-ब्याह की बारातों के लिए घोड़े उपलब्ध कराना, पिछले कुछ सालों से गांव के मंदिर में दरबार लगाना, हर रविवार और गुरुवार को अघोरी 'उपचार' करना

क्या-क्या अघोरी उपाय करता था बाबा?

संतान न होने, शराब छुड़ाने या भूतबाधा जैसी समस्याओं से आए लोगों को गंदी गालियां देना, महिलाओं को छूना, अपने जूते को चबाने को कहना,डंडों से पीटना,पेड़ की पत्तियां जबरन खिलाना, पेशाब करवाकर उसे पिलाना, और इन सब के बदले पैसे वसूलना इसका काम था.