मुंबई पुलिस की गोलीबारी में मारे गए रोहित आर्य प्रकरण को लेकर महाराष्ट्र के शिक्षा विभाग ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा है कि इस मामले में कोई विभागीय जांच शुरू नहीं की गई है, क्योंकि विभाग के रिकॉर्ड में रोहित आर्य से जुड़ा कोई आधिकारिक काम या भुगतान का आदेश दर्ज ही नहीं है.
दरअसल, रोहित आर्य ने कुछ महीने पहले शिक्षा विभाग के साथ स्कूल स्वच्छता अभियान में सहयोग का दावा किया था. उसका कहना था कि उसने ‘लेट्स चेंज’ नामक परियोजना के तहत काम किया और इसके बदले उसे वादा की गई रकम नहीं दी गई. लेकिन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, जांच में ऐसा कोई वर्क ऑर्डर, अनुबंध या वित्तीय मंजूरी नहीं मिली, जो आर्य के नाम से जारी की गई हो.
'विभागीय जांच की नहीं बनती कोई आवश्यकता'
विभागीय अधिकारी ने ABP न्यूज़ को बताया कि “हमने इस परियोजना से संबंधित सभी फाइलें और GR खंगाले हैं. किसी भी दस्तावेज में रोहित आर्य को भुगतान करने या काम सौंपने का उल्लेख नहीं है. इसलिए विभागीय जांच की कोई आवश्यकता नहीं बनती.”
हालांकि विभाग ने स्वीकार किया है कि यह मामला गंभीर है और भविष्य में ऐसी गलतफहमियों से बचने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे. अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी सामाजिक संस्था या एनजीओ के साथ काम करने से पहले लिखित अनुबंध या स्वीकृत टेंडर प्रक्रिया पूरी की जाए, और तभी कोई वित्तीय दायित्व तय हो.
अनौपचारिक रूप से स्वीकार कर ली थी उसकी मदद
जानकारी के अनुसार, रोहित आर्य ने वर्ष 2022-23 में शिक्षा विभाग से संपर्क किया था और स्वच्छता अभियान में स्वयंसेवक के रूप में सहयोग की इच्छा जताई थी. उसकी पहल से प्रभावित होकर विभाग ने अनौपचारिक रूप से उसकी मदद स्वीकार कर ली थी. बाद में, जनवरी 2024 में जारी एक सरकारी ठराव में उसका नाम ‘मुख्यमंत्री माझी शाळा सुंदर शाळा’ योजना के योगदानकर्ताओं में दर्ज किया गया था. लेकिन विभाग के अनुसार, यह सिर्फ एक सराहना थी, किसी वित्तीय अनुबंध का हिस्सा नहीं.
'सभी प्रक्रियाओं को और अधिक बनाया जाएगा पारदर्शी'
अधिकारियों का कहना है कि संभवत रोहित आर्य ने सरकारी ठराव में उल्लेखित 2 करोड़ रुपये के बजट को लेकर गलतफहमी पाल ली थी. दरअसल यह राशि पूरी योजना के लिए निर्धारित थी, न कि किसी व्यक्ति को भुगतान के लिए. विभाग का मानना है कि इस घटना से सबक लेते हुए अब सभी प्रक्रियाओं को और अधिक पारदर्शी बनाया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियां दोबारा न बनें.