महाराष्ट्र विधानसभा ने लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन से संबंधित विधेयक को मंजूरी दे दी है. इसमें पहली बार भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी और राज्य की ओर से नियुक्त कई सीनियर अधिकारियों को लोकायुक्त जांच के दायरे में लाने का प्रावधान किया गया है. महाराष्ट्र लोकायुक्त अधिनियम, 2023 को गुरुवार (11 दिसंबर) को मंजूरी दी गई जिसमें इस संस्था के न्यायाधिकार क्षेत्र में विस्तार किया गया है और राष्ट्रपति ऑफिस से पूर्व में उठाए गए सवालों पर स्थिति स्पष्ट की गई है.

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विधेयक पेश करने वाले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि लोकायुक्त की जांच के दायरे में कौन से अधिकारी आते हैं, इस बारे में स्पष्टता सुनिश्चित करने के लिए संशोधित प्रावधान आवश्यक थे. उन्होंने कहा, ‘‘इस संशोधन से यह स्पष्ट हो गया है कि केंद्रीय अधिनियमों के तहत गठित प्राधिकरणों में राज्य द्वारा नियुक्त आईएएस अधिकारी भी लोकायुक्त के दायरे में आएंगे. इससे मौजूदा अस्पष्टता दूर हो जाएगी.’’

लोकायुक्त जांच के दायरे में आएंगे अधिकारी 

विधेयक में यह जिक्र किया गया है कि संसदीय अधिनियमों के तहत स्थापित विभिन्न बोर्ड, अथॉरिटी और समितियों में राज्य सरकार की ओर से नियुक्त अधिकारी अब लोकायुक्त जांच के दायरे में आएंगे. इससे पहले इस बात को लेकर अस्पष्टता थी कि क्या ऐसे प्राधिकरण लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत गठित लोकायुक्त और लोकपाल संस्था के अधिकार क्षेत्र में आते हैं या नहीं.

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किन अधिकारियों को रखा गया जांच दायरे से बाहर?

प्रस्तावित संशोधनों के मुताबिक केवल वे अधिकारी इस दायरे में आएंगे जिन्हें केंद्रीय अधिनियमों के तहत राज्य द्वारा नियुक्त किया गया है, जबकि उन अधिकारियों को बाहर रखा गया है जिन्हें पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया गया है और जो लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. इन परिवर्तनों का उद्देश्य दोनों निकायों के बीच ‘‘अधिकार क्षेत्र के अतिक्रमण के संदेह को दूर करना’’ है.

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