महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना (शिंदे गुट) के प्रमुख एकनाथ शिंदे ने बुधवार (20 नवंबर) को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. इस मुलाकात में शिंदे ने महायुति सरकार के भीतर बढ़ते तनाव और गठबंधन को नुकसान पहुंचा रही गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा की.

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शिंदे ने शाह को साफ कहा कि महायुति गठबंधन आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए बेहद मजबूत स्थिति में है, लेकिन गठबंधन के ही कुछ नेता इस अनुकूल माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं.

उनके अनुसार, यह हरकतें विपक्ष को फायदा पहुंचा सकती हैं और महायुति की जीत में बाधा डाल सकती हैं. शिंदे ने इस बात पर चिंता जताई कि कुछ नेता जानबूझकर ऐसा माहौल तैयार कर रहे हैं, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं में भ्रम और असुरक्षा बढ़ रही है.

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कैबिनेट बैठक में शिवसेना मंत्री क्यों नहीं आए?

शिंदे-शाह की मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब इससे ठीक एक दिन पहले शिवसेना के कई मंत्री राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे. दरअसल, भाजपा की ओर से शिवसेना नेताओं को अपने पाले में लाने की कोशिशों का शिवसेना (शिंदे गुट) ने विरोध जताया था. इसी कारण कई शिवसेना मंत्री कैबिनेट बैठक से दूर रहे. हालांकि, केवल एकनाथ शिंदे खुद बैठक में मौजूद थे.

फडणवीस से मुलाकात के बाद मामला शांत

तनाव बढ़ते देख शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की. इस बैठक में यह फैसला हुआ कि महायुति के किसी भी सहयोगी दल को दूसरे दल के पदाधिकारियों, नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपनी पार्टी में शामिल करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.

सूत्रों के अनुसार, शिंदे ने अमित शाह को यह भी बताया कि मीडिया में कई तरह की भ्रामक और अनावश्यक खबरें चल रही हैं, जिससे जनता के बीच गलत संदेश जा रहा है. इन खबरों के कारण आम समर्थकों और पार्टी पदाधिकारियों में भ्रम गहराता जा रहा है. शिंदे ने कहा कि अगर ऐसी स्थिति बनी रही तो इसका सीधा फायदा विपक्ष को मिलेगा.

2024 के विधानसभा चुनावों में जीत के बाद महायुति के भीतर सब कुछ ठीक दिख रहा था, लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव नजदीक आने के साथ ही अंदरूनी खींचतान बढ़ती जा रही है. शिंदे के मुताबिक, यह समय एकजुट होकर चुनाव की तैयारी करने का है, न कि आपसी खींचतान में माहौल बिगाड़ने का.