महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार के फंड को वोटर्स के समर्थन से जोड़ने संबंधी बयान पर सियासी तूफान खड़ा हो गया है. इसे लेकर अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने रविवार (23 नवंबर) को भेदभाव की बात को अनपेक्षित बयानबाजी करार देते हुए खारिज कर दिया और कहा कि सरकार का लक्ष्य सभी क्षेत्रों का विकास करना है. कई बार चुनाव के दौरान भाषण में बहुत सी बातें कही जाती हैं, लेकिन इसका मतलब एक जैसा नहीं होता है. भले ही हमारे सहयोगी या किसी ने ऐसा कहा हो, यह उनका इरादा नहीं था और वे कभी भी ऐसा भेदभाव नहीं करेंगे. 

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दरअसल, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री अजित पवार मालेगांव में निकाय उपचुनाव को लेकर मतदाताओं को धमकाने वाले अंदाज में नजर आए. स्थानीय़ भाषा में लोगों से संवाद करते हुए अजित पवार ने वोट ना देने पर फंड कटौती की चेतावनी दी. जिस पर अब घमासान छिड़ गया है. 

अजित पवार ने क्या कहा?

डिप्टी सीएम अजित पवार ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ''अगर मालेगांव की सभी 18 सीटों पर महायुति उम्मीदवारों को जिताएंगे तो मैं आप लोगों से किया हर वादा और मांग को पूरी करूंगा लेकिन अगर आपने वोट कट किया, तो मैं भी कट कर दूंगा. आपके पास वोट है और मेरे पास फंड. आपकी इच्छा है कि क्या करना चाहते हैं.'' 

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अजित पवार के बयान पर विरोधियों का हमला

अजित पवार के इस बयान पर कांग्रेस ने उन्हें आड़े हाथ लिया है. कांगेस ने इसे अजित पवार की दादागीरी करार देते हुए हमला बोला है. वहीं NCP शरद पवार गुट ने भी अजित पवार पर प्रहार किया और कहा कि फंड राज्य का है और उस पर अधिकार जनता का है, अजित पवार का नहीं. 

दादागिरी की बातें महाराष्ट्र में नहीं चलती- आदित्य ठाकरे

उधर, शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बयान पर कहा, "ये सारी बातें जो दादागिरी की होती हैं और ये महाराष्ट्र में नहीं चलती. बहुत सारे लोग इस तरह की बातें करते हैं लेकिन कहीं न कहीं सवाल ये है कि क्या न्याय किया जाएगा?"

शिवसेना शिंदे गुट ने क्या कहा?

वहीं डिप्टी सीएम अजित पवार के बयान पर ना सिर्फ विरोधी हमलावर हैं, बल्कि NDA के भीतर भी उन्हें नसीहत मिली है. शिवसेना शिंदे गुट ने कहा कि महाराष्ट्र में ऐसा कोई सिस्टम नहीं है कि वोट देने पर ही फंड मिलेगा.