महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई के वर्ली बीडीडी चॉल पुनर्विकास परियोजना के तहत तैयार 556 फ्लैट्स का उद्घाटन किया और लाभार्थियों को चाबी सौंपी. इस मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मुंबई में अब घरों की कीमत सोने जैसी हो गई है, इसलिए इन्हें मत बेचो. यह घर अगली पीढ़ी को देना है, यह ध्यान में रखो, और इन घरों में प्यारी बहनों का भी नाम लगाओ. अजित पवार ने भी अपने भाषण में घर न बेचने की अपील की.

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि हम असली मुंबईकरों को मुंबई में वापस लाने जा रहे हैं. फडणवीस ने कहा, “मैंने कहा था कि ऐसा काम करना है कि कोई गाली न दे. इसी वजह से हमने ग्लोबल टेंडर करने का निर्णय लिया. उसके अनुसार प्रक्रिया पूरी हुई. टाटा, एलएनटी और शापूरजी पलोनजी ने यह काम लिया और अच्छी तरह से काम हो रहा है. 22 अप्रैल 2017 को टेंडर हुआ. उसके बाद कई अड़चनें आईं, लेकिन हमने काम जारी रखा.”

असली मुंबईकरों को मुंबई में लाने का प्रयास

उन्होंने स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे का किस्सा सुनाते हुए कहा कि गोपीनाथ मुंडे ने पुलिस को घर देने के लिए मोर्चा निकाला था. उनका सपना भी हम पूरा कर रहे हैं. हम उन्हें 15 लाख में घर दे रहे हैं. असली मुंबईकरों को मुंबई में लाने का हमारा प्रयास है और हमने ऐसा ही निर्णय लिया है. अभ्युदय नगर, अंधेरी और जे.बी. नगर प्रकल्प भी हम कर रहे हैं.

अब धारावी पुनर्विकास प्रकल्प शुरू

उन्होंने कहा कि धारावी के संदर्भ में भी हम निर्णय ले रहे हैं. धारावी के पुनर्विकास की बात राजीव गांधी ने कही थी, लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ. अब हमने धारावी पुनर्विकास प्रकल्प शुरू किया है. 10 लाख की आबादी का हम पुनर्विकास कर रहे हैं. एक नया शहर बसाने जा रहे हैं. जो पात्र होगा उसे जरूर घर मिलेगा.

'झोपड़पट्टी से भी बदतर हालत थी'

मुख्यमंत्री ने कहा कि बीडीडी चॉल ने सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों को देखा है, स्वतंत्रता संग्राम देखा है. 100 साल का इतिहास देखा जाए तो इन चॉल की दीवारों में अनेक कहानियां हैं. तीन-चार पीढ़ियां यहां गुज़री हैं. इसलिए चॉल का पुनर्विकास होना चाहिए, यह हमारी राय थी. बीडीडी में मेरी बड़ी सभा हुई थी. तब कई घरों में जाकर मैंने देखा कि लोग किस हालत में रह रहे हैं — यह झोपड़पट्टी से भी बदतर था. 

देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ''महायुति सरकार आने के बाद जब मांगें पूरी करने का समय आया, तो हमने काम शुरू किया. 90 साल पुराने अतिक्रमण भी हटाए गए. पहले यह प्रोजेक्ट इसलिए रुका हुआ था क्योंकि बिल्डर का मकसद था कि उसे कितने फ्लैट बिक्री के लिए मिलेंगे. इसलिए हमने म्हाडा को ही बिल्डर बनाया और 500 वर्ग फुट का फ्लैट देने का निर्णय लिया.''