महाराष्ट्र में सदन का सत्र चल रहा है. ऐसे में सियासी गहमागहमी लाजमी है. इस बीच बुधवार (16 जुलाई) को राज्य के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना यूबीटी के चीफ और पुरान सहयोगी रहे उद्धव ठाकरे को साथ आने का ऑफर दे दिया. हालांकि, विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री फडणवीस ने हल्के-फुल्के अंदाज में ये बात कही. लेकिन सीएम की तरफ से दिया गया बयान चर्चा का विषय बन गया.
2029 तक हमारी विपक्ष में आने की गुंजाइश नहीं- सीएम फडणवीस
विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे ने एक दूसरे का अभिवादन किया. सीएम देवेंद्र फडणवीस ने हंसी मजाक में उद्धव ठाकरे को साथ आने का ऑफर देते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे को 2029 तक कुछ नहीं करना है. हमारी विपक्ष में आने की कोई गुंजाइश नहीं बची है, लेकिन आपके (सत्तारूढ़ दल के) पास यहां आने की गुंजाइश है.
सीएम फडणवीस ने कहा, "हमारा वहां (विपक्ष) में आने का कोई स्कोप नहीं है . लेकिन आपको यहां आने का स्कोप है. आप विचार कर सकते है. यह स्कोप अलग तरीके से देखना पड़ेगा."
उद्धव ठाकरे ने सीएम के बयान पर क्या कहा?
सीएम के इस बयान पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह सब बातें हंसी मजाक में हो रही थीं. इसलिए इसे ज्यादा सीरियस मत लें.
कैसे अलग हुए थे उद्धव ठाकरे और बीजेपी के रास्ते?
साल 2019 में विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर चर्चा के केंद्र में आ गया. दशकों तक बीजेपी के साथ रहने वाले उद्धव ठाकरे ने गठबंधन खत्म करने का फैसला किया. दरअसल, विवाद मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर हुआ. शिवसेना (अविभाजित) ने दावा किया कि गठबंधन में ढाई-ढाई साल के सीएम पद देने का समझौता हुआ था. हालांकि, बीजेपी इस दावे को नकारती रही. आगे चलकर गठबंधन टूट गया और उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी (अविभाजित) के साथ मिलकर सरकार बनाई और पहली बार राज्य के सीएम बने.
ढाई साल ही चल पाई उद्धव ठाकरे की सरकार
ये सरकार ढाई साल ही चल पाई. एकनाथ शिंदे जून 2022 में उद्धव ठाकरे से अलग हो गए. विधायकों की संख्या कम हो गई. उद्धव ठाकरे की सरकार के पास बहुमत नहीं बचा. फ्लोर टेस्ट से पहले ही उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया. आगे चलकर बीजेपी के साथ मिलकर एकनाथ शिंदे ने सरकार बनाई और वो पहली बार राज्य के सीएम बने.