Bombay High Court Acquits Three On Murder Charges: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने अपने हालिया फैसले में सोलापुर (Solapur) के तीन लोगों को हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा से बरी कर दिया. उन पर एक व्यक्ति को बेरहमी से मारने का आरोप लगाया गया, जिसकी बाद में मौत हो गई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने पहले तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 326 के तहत स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाने के लिए दोषी ठहराया था. उन्हें 2018 में आजीवन जेल की सजा सुनाई गई थी.

7 साल पहले के मामले में आया फैसला

हाईकोर्ट ने 29 सितंबर, 2015 की घटना पर अपना फैसला दिया, जब पंडित काले और मनोज काले के रूप में पहचाने जाने वाले दो लोग एक ढाबे पर पहुंचे और राम पचफुले के साथ झगड़ा करने लगे. ढाबे पर काम करने वाले देवकर नाम के व्यक्ति ने उन्हें शांत किया और घर भेज दिया. उन्होंने अधिवक्ताओं को बताया कि गांव में गणपति विसर्जन जुलूस को लेकर काले और पचफुले के बीच कुछ विवाद हुआ था और विवाद के चलते पंडित काले ने राम पचफुले पर लाठी से हमला कर दिया.

अगले दिन पंडित काले नशे की हालत में ढाबा पहुंचे और देवकर से भोजन की मांग की. वहीं पचफुले अपने रिश्तेदारों के साथ ढाबे पर मौजूद थे. विवाद के बाद उसके रिश्तेदारों ने काले को लाठियों से पीटना शुरू कर दिया. उसे घायल कर वे मौके से फरार हो गए. जल्द ही, काले के परिजन मौके पर पहुंचे और उसे अस्पताल ले गए जहां उसने दम तोड़ दिया. काले के साथ मारपीट करने वाले राम पचपुले के तीन रिश्तेदारों मयूर, अविनाश और अक्षय के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उन्होंने खुलासा किया कि उनका काले के साथ मामूली से मुद्दों पर विवाद था.

गवाह ने कही ये बात

प्रत्यक्षदर्शी रहे देवकर ने खुलासा किया कि काले ने सबसे पहले हंगामा किया और आरोपियों को झूठे मामले में फंसाया जा रहा है. बकौल इंडिया टुडे अधिवक्ता सत्यव्रत जोशी ने बताया कि अपराध को अंजाम देने के लिए कोई पूर्व नियोजित नहीं था. साथ ही, आरोपी द्वारा मृतक को मारने के मकसद से ढाबा में कोई हथियार नहीं लाया गया था. बकौल इंडिया टुडे, उन्होंने यह भी कहा कि काले के आने से पहले ही आरोपी ढाबे में बैठे थे और काले पर ज्यादातर चोटें पैरों के नीचे थीं.

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कोर्ट ने इसलिए हत्या के इल्जाम से किया रिहा

अधिवक्ताओं ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि काले खुद नशे की हालत में थे और काले की मौत का सही समय रिकॉर्ड में नहीं आया है. उन्होंने बताया कि इंटरनल ब्लीडिंग के कारण उनकी मौत हुई है. दलीलों को देखने के बाद जस्टिस एसएस जाधव और जस्टिस एमएन जाधव की बेंच ने कहा कि काले को हत्या के इरादे से नहीं पीटा गया था.

पीठ ने कहा कि कहा कि हमारा मानना है कि वर्तमान मामला आईपीसी की धारा 326 के प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराध से आगे नहीं बढ़ता है. हमने रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों का अध्ययन और विश्लेषण किया है.काले पर आरोपियों द्वारा कमर के नीचे हमला एक बार फिर दर्शाता है कि आरोपी की ओर से काले की हत्या करने का कोई इरादा नहीं था. पूरी घटना की माहौल गर्माने के कारण हुई और अभियुक्तों ने दो अभियोजन पक्ष के गवाहों द्वारा बताए गए तरीके से ही काम किया है इसलिए हम आश्वस्त हैं कि धारा 302 के प्रावधान लागू नहीं होंगे.

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