Baba Siddique Murder Case: एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच ने विशेष मकोका कोर्ट में चार्जशीट फाइल की थी. हत्याकांड की जांच करते हुए मुंबई क्राइम ब्रांच ने 26 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. इस चार्जशीट में कई महत्वपूर्ण खुलासे हुए हैं.
गिरफ्तार आरोपी शिवकुमार गौतम ने पुलिस के सामने अपने गुनाहों का कबूलनामा दिया है. शिवकुमार ने पूरी कहानी बताई है कि कैसे बाबा सिद्दीकी को मारने की प्लानिंग की गई और फिर उन्हें मौत के घाट उतारा गया.
कैसे हुई थी लॉरेंस बिश्नोई के गुर्गों से मुलाकात?आरोपी शूटर शिवकुमार गौतम ने कहा, "मेरे दोस्त हरीश कश्यप ने मेरी पहचान प्रवीण लोणकर और शुभम लोणकर से कराई. इसके बाद मेरी उनसे दोस्ती हो गई. मैं उन दोनों भाइयों को तीन साल से जानता हूं. जब उनसे मिलता तब हम अलग अलग मुद्दों पर बाते करते थे. प्रवीण लोणकर को जानने वाले लोग उसे अण्णा बुलाते थे और शुभम लोणकर को शुब्बु बुलाते थे."
''मैंने धर्मराज कश्यप की पहचान प्रवीण और शुभम लोणकर से कराई थी. मैं शराब नहीं पीता, लेकिन शुभम लोणकर हमेशा धर्मराज को शराब पिलाकर हमारे खाने पीने पर खर्चा करता था. जब मैं और धर्मराज कश्यप शुभम और प्रवीण लोणकर से मिलने उनके डेरी पर जाते थे, तब शुभम ने मेरी और धर्मराज कश्यप की पहचान वहां हमेशा आनेवाले पुणे के दोस्त रुपेश मोहोळ, शिवम कोहाड, करन साळवे, आदित्य गुळाणकर, गौरव अपुणे, रफिक शेख से करवाई थी. उस दौरान एक दिन शुभम लोणकर ने मुझे खुद बताया था कि वह और प्रवीण लोणकर लॉरेंस बिश्नोई गैंग के लिए काम करते हैं.''
15 लाख में तय हुई डीलजून 2024 में शुभम लोणकर ने उसे कहा कि अगर उसके लिए एक काम कर देगा तो 10-15 लाख रुपये मिलेंगे. पूछे जाने पर कि क्या काम करना पड़ेगा, शुभम ने बाबा सिद्दीकी और बेटे जीशान सिद्दीकी का मर्डर करन के बात कही. हालांकि, ज्यादा खुलकर नहीं बताया. 15 लाख रुपये के लालच में शिवकुमार और धर्मराज कश्यप ने बात मान ली.
इसके बाद शुभम लोणकर ने खाते में रकम जमा करवा दी. रुपेश मोहोळ ने 12870 रुपये हरीश कश्यप के बैंक खाते में भेजे थे. हमने बाबा सिद्दीकी के उपर फायरिंग करते समय पेपर स्प्रे भी साथ में रखा था, जो हरीश कश्यप ने दिया था.
अनमोल बिश्नोई ने पूछा- 'डर गए क्या?'आरोपी शूटर ने बताया कि एक दिन शुभम लोणकर ने स्नैपचैट के जरिए अनमोल बिश्नोई को वीडियो कॉल लगाया और उसकी बात कराई. उस समय अनमोल बिश्नोई ने हमें 'राम राम भाई, कैसे हो डर लग रहा है क्या?' पूछा. उसने कहा कि जिन लोगों को मारना है, वो दाऊद इब्राहिम और बॉम्ब ब्लास्ट से जुड़े हैं. यह भी कहा कि अगर पैसों की जरूरत हो तो शुभम लोणकर से कहना, वह दे देगा. शुभम लोणकर रोज रात को अनमोल बिश्नोई से स्नैपचैट पर बात करता था. कई बार दोनों भाई स्पीकर पर बात करते थे.
स्नैपचैट पर होती थी वीडियो कॉलकुछ समय बाद शुभम लोणकर ने आरोप शूटर के फोन में भी स्नैपचैट डाउनलोड कर दिया ताकि अनमोल बिश्नोई से डायरेक्ट बात कर सके. Sunny Sunny आडी पर अनमोल बिश्नोई से बात होती थी. कॉल करने पर पहले सुमित नाम के व्यक्ति से बात होती थी. कुछ देर बाद अनमोल बिश्नोई लाईन आकर काम की बात करता था. इसके अलावा, Amit Pandit 712 नाम की आईडी पर बात होने लगी.
एक दिन शुभम लोणकर बताया कि धर्मराज कश्यप और शिवकुमार को मर्डर करने के लिए हथियार मिल जाएंगे. हथियार मुंबई में रहनेवाला बिश्नोई गैंग का शख्स बब्बु सिंह देगा. मर्डर के बाद शुभम लोणकर, अनमोल बिश्नोई या गैंग का कोई और गुर्गा फेसबुक पोस्ट कर मर्डर की जिम्मेदारी लेगा.
कर्जत रेलवे स्टेशन पर हुई मुलाकातशुभम लोणकर के कहने पर आरोपी शूटर्स ने बाबा सिद्दीकी या उसके बेटे का मर्डर करने का इरादा बनाया. दोनों अगस्त 2024 मे शुभम लोणकर के कहने पर कर्जत आए. शुभम ने उन्हें नितिन याने नित्या को मिलने को कहा था. नित्या रहने का इंतजाम करने वाला था. कर्जत रेलवे स्टेशन पर नित्या, चेतन, और प्रदीप मिले. गाड़ी में नित्या ने कहा कि रहने का इंतजाम एक दोस्त के घर पर हुआ है.
मर्डर के बाद मोबाइल फोन फेंकने की सलाहअनमोल बिश्नोई ने शूटर्स को बताया कि अंधेरी रेल्वे स्टेशन के उन्हें एक आदमी मिलेगा, जो हथियार देगा. स्टेशन पर लाल टोपी वाले आदमी ने एक पार्सल दिया. वह पार्सल कुर्ला के घर में लाकर खोला गया, जिसमें 2 पिस्टल और कुछ बुलेट थीं. साथ ही काले रंग की अपाचे बाइक मिली. उसी बाइक का इस्तमाल रेकी की गई थी. अनमोल बिश्नोई ने शूटर्स को बताया था कि काम हो जाने के बाद मोबाइल फोन फेंकने होंगे.
शूटआउट से पहले फायरिंग करने के लिए आरोपी खोपोली रेल्वे स्टेशन के आसपास जंगलों में गए थे. फायरिंग प्रैक्टिस के दौरान ली जाने वाली फोट अनमोल बिश्नोई और शुभम लोणकर को भेजी जाती थी.
ऐसे करते थे रेकीआरपी शूटर शिवकुमार ने बताया बैग में वेपन लेकर ऑटो रिक्शा से खेरवाडी, ब्रांदा जाते थे. वहां से पैदल चलकर बाबा सिद्दीकी के बेटे के ऑफिस के सामने टहलते थे. बाबा सिद्दीकी और उनके बेटे के आने-जाने पर नजर रखते थे. तब तक बाबा सिद्दीकी की कार का नंबर मिल गया था. कभी-कभी बाबा सिद्दीकी के ब्रांदा वाले घर के बाहर भी उनकी गाडडी का इंतजार करते थे और फायरिंग के लिए सही वक्त और जगह की राह देखते थे.
12 अक्टूबर की शाम को क्या हुआ था?12 अक्टूबर की शाम शिवकुमार, धर्मराज कश्यप और गुरमेल सिंह हमेशा की तरह अपने वेपन बैग में लेकर घर से निकले. तीनों ऑटो रिक्शा से कुर्ला से निकलकर खेरवाडी जंक्शन, बांद्रा पहुंचे. वहां से कुछ दूर पैदल चलकर जीशान सिध्दीकी के ऑफिस के बाहर खड़े रहे. पता चला दोनों पहले ही ऑफिस आ गए थे. दशहरा की वजह से रास्ते पर बहुत भीड़ थी. दुर्गा विसर्जन के चलते पटाखे बज रहे थे.
रात 9.00 बजे के करीब बाबा सिद्दीकी ऑफिस से बाहर निकले और गाड़ी तक जाने के लिए पैदल चल रहे थे. उस वक्त शूटर्स ने फायरिंग कर दी. इसके बाद पेपर स्प्रे इस्तेमाल किया. बाबा सिद्दीकी के गिरने के बाद शूटर्स वहां से भाग गए.
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