Sehore: मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर की बुधनी विधानसभा जो कि स्वयं मुख्यमंत्री की विधानसभा है, अपने नाम को लेकर चर्चा का विषय बनी हुई है. दरअसल शहरवासियों को कई बार इसके नाम से परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मामला ये है कि शासकीय दस्तावेजों एवं गजेटियर में तहसील का नाम बुधनी जबकि कई स्थानों में इसका नाम बुदनी लिखा हुआ है, जिसके चलते कई बार परीक्षार्थियों एवं अभ्यर्थियों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है.


1950 के गजेटियर में कहीं बुधनी तो कहीं बुदनी नाम है दर्ज
 मतदाता परिचय पत्र में इसका नाम बुधनी लिखा हुआ है तो आधार कार्ड में बुदनी. इस गड़बड़ी के चलते अभ्यर्थियों, परीक्षार्थियों को पासपोर्ट के आवेदन या विभिन्न शासकीय संस्थानों में प्रवेश के दौरान समस्या का सामना करना पड़ता है. इस संबंध में जब एबीपी संवाददाता ने जानकारी जुटाई को पता चला कि 1950 के गजेटियर में मौजूद 7 तहसीलों के अंदर बुधनी के नाम में अंतर है, जिसके चलते अलग-अलग सरकारी दस्तावेजों में तहसील का नाम अलग-अलग तरीके से लिखा हुआ है.


समस्या के समाधान के लिए केंद्र से लेनी होगी अनुमति
सूत्रों के अनुसार इस संबंध में प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है की विधिवत रूप से तहसील का नामकरण करने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होती है. यदि समस्या को सुलझाना है तो राज्य सरकार को आगे आकर प्रक्रिया को पूर्ण करना होगा, जिसके बाद केंद्र सरकार द्वारा अनुमति प्रदान करने पर समस्या का निराकरण हो सकेगा.अब देखने वाली बात यही होगी कि इस छोटी दिखने वाली बड़ी समस्या को हल करने के लिए किस प्रकार से प्रयास किए जाते हैं.  पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा ने बताया है कि किसी भी शहर का नाम परिवर्तन करने के लिए और औचित्य के साथ प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को राज्य सरकार द्वारा भेजा जाता है. दरअसल केंद्रीय मंत्रालय के कार्यालय में शहर का नाम परिवर्तन करने के लिए केंद्र की अनुमति जरूरी होती है. बुधनी या बुदनी के मामलों में भी यही करना होगा.


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