Sehore Drinking Water Crisis: सीहोर (Sehore) में भीषण गर्मी के दौरान जल संकट की स्थिति बनने लगी है. सरकार ग्रामीण अंचलों में जल जीवन मिशन के तहत हर घर में पानी पहुंचाने का दावा कर रही है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है. आज भी अनेकों गांव पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं. हालात यह है कि दूर-दूर से पीने का पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं. 


मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के गृह जिले सीहोर की इछावर तहसील का आदिवासी बाहुल्य गांव रामगढ़ बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है. लोग गांव के समीप स्थित पटारा नदी, जो कि वर्तमान में सूख चुकी है, के बीचों बीच बने कुएं से पीने का पानी जुटाते हैं. ग्रामीण सुंदरलाल हेमराज देवी सिंह का कहना है कि हालात यह हैं कि महिलाएं इस भीषण गर्मी में दोपहर के समय भी पानी भरने को मजबूर हो रही है. इसके बाद भी ग्रामीणों की सुनवाई नहीं हो रही है.


नहीं पहुंची नल जल योजना


आदिवासी बाहुल्य ग्राम रामगढ़  की आबादी करीब 1300 की है. गांव में आधा दर्जन से अधिक हैंडपंप है, लेकिन जल स्तर कम होने एवं अन्य कारणों से इनमें से अधिकांश हैंडपंप बंद पड़े हुए हैं. जबकि नल जल योजना गांव में अभी पहुंची ही नहीं है, इसलिए आदिवासी लोग दूर-दूर से अपने स्तर पर पीने के पानी का इंतजाम कर रहे हैं. इसके लिए नदी के बीचों बीच बने एक कुएं पर पूरा गांव निर्भर है.




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अधिकारी ने किया ये दावा


इस संबंध में लोक स्वास्थ्य यांत्रिक विभाग के कार्यपालन यंत्री एमसी अहिरवार का कहना है कि गांव में नल जल योजना नहीं हैं, हैंडपंप खराब होने की मुझसे किसी ने शिकायत नहीं की. मोटर डाल कर पानी की समस्या दूर की जाएगी. इस संबंध में एडीएम गुंचा सनोवर का कहना है कि ग्राम रामगढ़ में पीने के पानी की समस्या जानकारी आपके माध्यम से मिल रही है. पीएचई को निर्देशित कर समस्या दूर की जाएगी.


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