डीजल और पेट्रोल के दाम कम कर सरकार ने भले ही आम लोगों को राहत पहुंचा दी है लेकिन पेट्रोल पंप संचालक सरकार के इस फैसले के बाद से मुसीबत में आ गए हैं. पेट्रोल पंप संचालकों को पेट्रोल और डीजल के दाम कम होने से करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंच रहा है. अब पेट्रोल पंप एसोसिएशन आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं.


पेट्रोल-डीजल के दाम कम करना संचालकों पर पड़ रहा है भारी


दीपावली पर्व के पहले केंद्र और मध्य प्रदेश की सरकार ने सेंट्रल एक्साइज और वेट कम कर पेट्रोल और डीजल के दामों में काफी राहत पहुंचाई. यह राहत पेट्रोल पंप संचालकों को भारी पड़ रही है. जनता के लिए दीपावली का तोहफा पेट्रोल पंप संचालकों को दिवालिया बना रहा है. एक-एक पेट्रोल पंप संचालक को दस से बीस लाख रुपए तक का घाटा हुआ है. ऑल इंडिया पेट्रोल पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के सचिव गोपाल माहेश्वरी ने बताया कि दीपावली पर्व की छुट्टियां होने की वजह से पेट्रोल पंप संचालकों ने आईल कंपनियों से पेट्रोल और डीजल का 5 दिन का स्टॉक क्रय कर लिया था. इस स्टॉक पर सेंट्रल एक्साइज एवं राज्य सरकार का वेट टैक्स भी दिया था. 3 नवंबर को सरकार द्वारा टैक्स कम कर दिया गया.


 टैक्स कम होने पर सरकार को पंप संचालकों को भी टैक्स की राशि लौटना चाहिए. श्री माहेश्वरी ने बताया कि सोमवार को ऑयल कंपनियों के अधिकारियों को एसोसिएशन के माध्यम से ज्ञापन देकर नुकसान के बारे में अवगत कराया जाएगा. इसके बाद भी अगर सरकार ने राशि नहीं लौटाई तो आगे रणनीति बनाई जाएगी. 


टैक्स कम करने से हुआ नुकसान


उज्जैन पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि लोहिया के मुताबिक पंप संचालकों ने सरकार को टैक्स देकर पेट्रोल और डीजल आईल कंपनियों से खरीदा था,  मगर अचानक सरकार ने टैक्स कम करते हुए पेट्रोल की कीमत में ₹11. 62 पैसे और डीजल की कीमत में ₹17.0 3 पैसे की टैक्स की कटौती कर दी. पेट्रोल पंप संचालकों के यहां स्टॉक में रखे डीजल और पेट्रोल के दाम अचानक कम हो गए. पंप संचालकों द्वारा पेट्रोल और डीजल को कम दाम पर ग्राहकों को विक्रय किया गया. इससे प्रत्येक पेट्रोल पंप संचालक को लाखों का नुकसान हुआ है.


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