Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में माध्यमिक शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया की अव्यवस्था रोज उजागर हो रही है. लोक शिक्षण संचालनालय (Department of Public Instruction) के गौतम नगर स्थित कार्यालय में पिछले कुछ दिनों से रोजाना सैकड़ों युवा प्रक्रिया संबंधी अव्यवस्थाओं की शिकायत करते घूम रहे हैं. प्रदेश सरकार (Government of Madhya Pradesh) द्वारा जारी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया (Teacher Recruitment Process) को प्रारंभ हुए चार साल बीत चुके हैं.


चार साल के लंबे इंतजार में थक चुके आवेदकों ने नियमित तौर पर विभाग के पोर्टल को देखना बंद कर दिया था. ऐसे में लोक शिक्षण संचालनालय ने विभिन्न विषयों में मेरिट लिस्ट के आधार पर उम्मीदवारों को सूचना दिए बिना ही पोर्टल पर सूची जारी कर दी और अभ्यर्थियों से खुद-ब-खुद सूची देख लेने की अपेक्षा की. 


जानकारी के अभाव में चार साल से भर्ती का इंतजार कर रहे कई योग्य अभ्यर्थी रजिस्ट्रेशन कराने से चूक गए. सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थियों के दस्तावेज अपलोड नहीं हो पाए. बड़ी संख्या में ऐसे अभ्यर्थी जिले से लेकर प्रदेश की राजधानी भोपाल तक स्कूल शिक्षा विभाग (School Education Department) के कार्यालयों के चक्कर काटने के लिए विवश हैं, जिनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. 


मप्र कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने चार साल से नियुक्ति का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों को राहत पहुंचाने के लिए नए सिरे से फिर से दो दिन के लिए रजिस्ट्रेशन की लिंक खोलने और चार दिन के लिए दस्तावेज अपलोड करने की लिंक खोलने की मांग की है. भूपेंद्र गुप्ता ने याद दिलाया कि राज्य सरकार को लोगों के हित में सकारात्मक कार्यवाही करने के लिए इस तरह की सुविधा देनी चाहिए. 


गुप्ता ने याद दिलाई ये बात
कांग्रेस उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने बताया कि, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को जब इस बात की जानकारी हुई कि खरगोन जिले की भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र के मात्र तीन किसानों की जानकारी किसान ऋण माफी के पोर्टल पर अपलोड नहीं हुई है तो उन्होंने केवल तीन किसानों के लिए विशेष तौर पर पूरे प्रदेश के पोर्टल को वापस खोलने के निर्देश दिए थे ताकि किसी भी पात्र हितग्राही को वंचित न किया जा सके. 


गुप्ता ने आगे कहा कि, यह घटना कमलनाथ के जन हितैषी नेतृत्व और अफसरशाही की लकीर पीटने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच का अंतर बताती है. भूपेंद्र गुप्ता ने सवाल किया कि आखिर शिवराज सिंह मध्यम वर्गीय लोगों की नौकरी क्यों छीनना चाहते हैं. मेरिट सूची में पहले क्रम वाले ऐसे उम्मीदवार जो समय पर रजिस्ट्रेशन नहीं करवा सके. उनके स्थान पर जनजातीय विभाग के स्कूलों में वो मेरिट में सबसे नीचे के क्रम वाले प्रत्याशियों को ही क्यों भेजना चाहते हैं.


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