MP Lok Sabha Elections 2024: मध्य प्रदेश में बीते दिनों इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रहे अक्षय कांति बम बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव में अपना नामांकन वापस ले लिया. अक्षय कांति बम के नामांकन वापस लेने से कांग्रेस को यहां पर प्रत्याशी खड़ा करने का मौका नहीं मिला. स्थिति यह है कि यहां पर कांग्रेस अकेली पड़ती दिखाई पड़ रही है.


इंदौर लोकसभा सीट चु्नाव के दौरान ईवीएम पर कांग्रेस का निशान भी नहीं दिखाई पड़ेगा. इंदौर में अब केवल भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ही अकेले दम भर रहे हैं. यहां से निर्दलीय सहित कई दूसरे प्रत्याशी भी मैदान में हैं, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी के मुकाबले सियासी लिहाज उतने मजबूत नहीं हैं. ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि इंदौर पूरे चुनाव के दौरान शायद किसी बड़े नेता की सभा या रैली न हो.


पीएम मोदी इंदौर संभाग में कर चुके हैं सभा
बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से यहां पर अभी तक कोई भी बड़ा नेता सभा करने नहीं पहुंचा है. दो दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासी मतदाताओं को साधने के लिए धार और खरगोन में सभाएं की थीं, ये दोनों जगहें इंदौर संभाग में आता है. पीएम मोदी की सभा की अलावा यहां कोई दूसरा बड़ा नेता सभा करके नहीं गया है.


इंदौर सीट पर 1989 से बीजेपी का कब्जा
कांग्रेस की बात करें, तो राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस ने भी खरगोन में सभा की है. कई बड़े नेता इंदौर को केवल एयरपोर्ट से छूकर निकल जाते हैं. इंदौर लोकसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. यहां से बीजेपी 1989 से लगातार जीत दर्ज कर रही है और वर्तमान में इंदौर से बीजेपी प्रत्याशी शंकर लालवानी ही सांसद हैं.


अक्षय कांति के चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल होने पर आम लोगों सहित बीजेपी के कई दिग्गजों ने भी सवाल खड़े किए थे. उनमें एक नाम पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन का भी शामिल है. उन्होंने कहा था कि इससे इंदौर की छवि धूमिल हुई है और दूसरी बात यह कि कांग्रेस प्रत्याशी की पकड़ शंकर लालवानी की तरह नहीं है. 


लोकसभा चुनाव में इंदौर से अन्य दल बहुत बड़े आंकड़े तक पहुंच जाएं ऐसी उम्मीद करना भी बेमानी है. इसलिए इंदौर शहर में अभी तक कोई भी सभा नहीं हुई है.


बीजेपी प्रत्याशी ने खर्च किए सिर्फ 17 लाख
प्रत्याशियों के खर्च की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी शंकर लालवानी ने अभी तक केवल 17 लाख रुपये ही खर्च किए हैं, जबकि पिछले चुनाव में यह खर्च 48 लाख के आसपास था. अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हो चुके शंकर लालवानी अब ज्यादा खर्च करने के मूड में नहीं हैं.


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