MP CM Face Discussion: मध्य प्रदेश में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर ली है. 230 सदस्यीय विधानसभा में 163 प्रत्याशियों को जीत मिली है, जबकि कांग्रेस 66 पर सिमट गई है. चुनाव जीतने के बाद प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन बनेगा इसको लेकर सस्पेंस अभी भी बरकरार है. क्यों पार्टी ने चुनाव से पहले सीएम के नाम की घोषणा नहीं की थी. जिसको लेकर अब काफी चर्चा हो रही है. क्योंकि चुनाव जीतने के इतने दिन बाद भी बीजेपी ने सीएम के नाम का ऐलान नहीं किया है. प्रदेश के होने वाले नए सीएम को लेकर बीजेपी के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय ने एक बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि सीएम के नाम का सारा सस्पेंस रविवार को खत्म हो जाएगा. 


कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, "मध्य प्रदेश के लिए कांग्रेस को चिंता करने की जरूरत नहीं है. मुख्यमंत्री का फैसला इस हफ्ते में ही हो जाना की संभावना है." उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी विदेश ऊर्जा लेने के लिए जाते हैं. उनका राजनीति में रहना आनंद देता है. इसके बाद उन्होंने कहा कि जीत मोदी के नाम पर हुई है तो सीएम का फैसला भी वो ही करेंगे.कैलाश ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में चुनाव हो रहे थे. वह तीनों प्रदेशें में थे. जीत का पूरा श्रेय उन्हीं को जाता है. कैलाश ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि जब कर्नाटक में जीतते हैं तब ईवीएम ठीक होता है. हिमाचल में जीतते हैं तो ईवीएम ठीक होता है. इसके बाद उन्होंने लाडली बहना का जिक्र करते हुए कहा कि हम राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी जीते हैं, जहां लाडली बहना नहीं थी. मैं एमपी से ज्यादा बड़ी जीत छत्तीसगढ़ को मानता हूं.


'चुनाव में आई पीएम मोदी की रणनीति काम'


कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि चुनाव में केवल पीएम मोदी और जेपी नड्डा की रणनीति काम आई. मैंने ये कभी नहीं कहा कि लाडली बहना फेल हो गई. मैंने कहा कि तमाम योजनाएं चली, उसमें पीएम की आवास योजना भी थी. कई सारी योजनाएं थी, उस गुलदस्ते में एक फूल लाडली बहना योजना का भी था. एक योजनाओं का गुलदस्ता होता है. बता दें कि मध्य प्रदेश में अभी भी सीएम को लेकर सस्पेंस जारी है. इस बीच मौजूदा सीएम शिवराज सिंह चौहान लोकसभा चुनाव के मिशन 24 में जुट गए हैं. 


दरअसल विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी भले ही प्रचंड बहुमत से साथ जीत दर्ज की है लेकिन बीजेपी कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ के किला को भेद नहीं पाई. छिंदवाड़ा को कमलनाथ का किला कहा जाता है. यहां बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी. जिसके बाद सीएम शिवराज चुनाव जीतने के बाद छिंदवाड़ा पहुंचे हैं. जहां वो लोगों से मिले और सभा को संबोधित किया. इसके साथ ही उन्होंने  कार्यकर्ता सम्मेलन में हिस्सा लिया, लाड़ली कार्यक्रम में शामिल हुए और फिर आदिवासी कार्यकर्ता के घर भोजन किया.


मिशन 24 में लगे सीएम शिवराज सिंह चौहान


मध्य प्रदेश में भले ही सीएम की कुर्सी को लेकर सवाल बड़ा हो लेकिन इन सवालों से दूर शिवराज ने फिलहाल अपने लिए मिशन 24 की लकीर खींच दी है. जिसमें एमपी की 29 में से 29 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा गया है. बीजेपी का आलाकमान जिस वक्त एमपी में सीएम चेहरे पर मंथन करेगा, उस वक्त सवाल आगामी लोकसभा चुनाव का भी होगा. बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के इसी सवाल को आसान बनाने के लिए शिवराज सिंह जीत के बाद भी जमीन पर नजर आ रहे हैं. 


कमलनाथ के गढ़ में शिवराज 


2019 में बीजेपी एमपी की 29 में से 28 सीट जीती थी, लेकिन छिंदवाड़ा में कांग्रेस के नकुलनाथ को जीत मिली थी. प्रचंड जीत के बावजूद इस बार छिंदवाड़ा जिले की सातों सीटों पर बीजेपी को हार मिली. कमजोर किले को मजबूत करने में जुटे शिवराज सिंह चौहान आलाकमान के सामने अपना सीवी मजबूत कर रहे हैं. क्योंकि वाजपेयी दौर से लेकर मोदी लहर भी छिंदवाड़ा में कमल नहीं खिला पाई. बावजूद इसके शिवराज सिंह चौहान की राह इतनी आसान नहीं रहने वाली है. जिन सांसदों को बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में उतारा, उनमें से विधानसभा चुनाव जीत कर आने वाले सांसदों ने इस्तीफा दे दिया है.


सीएम की रेस में इन दिग्गजों का नाम


सीएम पद के लिए शिवराज सिंह के लिए बड़ी चुनौती हैं, प्रहलाद पटेल, जिन्होंने आज ही केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दिया है. सियासी कद से लेकर जातीय समीकरण तक प्रहलाद पटेल की दावेदारी को मजबूत बनाते हैं, प्रहलाद पटेल लोधी समाज से आते हैं, जो एमपी की 40 फीसदी ओबीसी आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा है. 5 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. प्रहलाद पटेल के गृह जिले से बीजेपी इस बार चारों सीट जीती है, सीएम पद की रेस में एक और पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर शामिल हैं उन्होंने भी आज ही कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा दिया है.


नरेंद्र तोमर राज्य से लेकर केंद्र और संगठन की राजनीति में लंबा अनुभव रखते हैं. नरेंद्र तोमर के इलाके चंबल रीजन में भी बीजेपी का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा. चंबल से आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया भी सरप्राइज कर सकते हैं, हालांकि वो अब तक खुद को सीएम की रेस से बाहर बताते रहे हैं लेकिन आज ही जेपी नड्डा से उनकी संभावित मुलाकात ने सस्पेंस बढ़ा रखा है. एमपी ने कमलनाथ की बजाय कमल पर भरोसा जताया है लेकिन अब एमपी में कमल किस पर दांव लगाता है दिल्ली से लेकर भोपाल तक इस बात का इंतजार है.


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