MP Election 2023 News: कौन बनेगा मुख्यमंत्री? मध्य प्रदेश बीजेपी के खेमे में यह प्रश्न बन गया है. अगर देखा जाए तो आलाकमान ने किसी का नाम न लेते हुए मुकाबला ओपन फॉर आल कर दिया है. पार्टी ने जिन दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारा है, यदि उनकी सीएम की कुर्सी के लिए दावेदारी मानी जाए तो साफ संकेत है कि हर वर्ग को लगना चाहिए कि उनकी जाति का नेता इस कुर्सी पर बैठ सकता है.


यहां बताते चले कि मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए होने जा रहे चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक चार किस्तों में 136 उम्मीदवारों की सूची जारी की है. इसमें तीन केंद्रीय मंत्री सहित 7 सांसदों और कई अन्य दिग्गज नेताओं को पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है. बीजेपी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी बुधनी सीट से उम्मीदवार बनाया है, लेकिन पार्टी ने उन्हें सीएम फेस प्रोजेक्ट करने से परहेज किया है. इसी वजह से अब पार्टी के भीतर और बाहर भी यह सवाल उठने लगा है कि 3 दिसम्बर (मतगणना का दिन) के बाद कौन बनेगा मुख्यमंत्री?


पीएम मोदी के फेस पर बीजेपी लड़ रही चुनाव
वैसे, कई मंचों पर पार्टी ने साफ किया है कि मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव डबल इंजन की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फेस पर लड़ा जा रहा है. हालांकि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अगले सीएम की रेस में खुद को बनाए हुए हैं और वह जनता से ही पूछते हैं कि अगला मुख्यमंत्री शिवराज मामा को बनना चाहिए कि नहीं? लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि सीएम की कुर्सी का फैसला चुनाव जीतने के बाद ही होगा और इसमें आलाकमान की पसंद सर्वोच्च होगी.


बीजेपी में कौन हैं ओबीसी वोटर्स को साधने के लिए बड़े नेता?
मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ रहे दिग्गजों की बात की जाए तो सभी अपने-अपने जाति और वर्ग के बड़े नेता हैं. पार्टी ने इन दिग्गज नेताओं के नाम पर मतदाताओं को साधने की बड़ी रणनीति तैयार की है.


इसी वजह से फिर से सरकार बनने पर इनमें से किसी एक के अगला सीएम होने की अटकलों को हवा दी जा रही है. चुनाव मैदान में उतर चुके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल राज्य के सबसे बड़े वोटर ओबीसी वर्ग से आते है. अब पार्टी की रणनीति है कि ओबीसी वर्ग का वोटर इन दोनों नेताओं में अगले सीएम का प्रतिबिंब देखें और बीजेपी के लिए वोट करे. गौरतलब है कि वर्तमान में विधानसभा की कुल 230 सीटों में से 127 बीजेपी के पास हैं. इनमें से ओबीसी वर्ग के विधायकों की संख्या 54 है.


बीजेपी के ये नेता सीएम की दौड़ में शामिल
इसी तरह विधायक बनने की राह पर चल पड़े केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सांसद राकेश सिंह सवर्ण (क्षत्रिय) वर्ग के नेता माने जाते हैं. मालवांचल के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गी को भी सवर्ण (वैश्य) वर्ग की कैटेगरी के हिसाब से चुनाव मैदान में उतर गया है. इन तीनों नेताओं के माध्यम से पार्टी मतदाताओं को यह संदेश पहुंचाना चाहती है कि यदि उनका वोट बीजेपी के पक्ष में जाता है तो उनके वर्ग का कोई नेता सीएम की कुर्सी पर बैठ सकता है.


केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते आदिवासी वर्ग के बड़े नेता है. बीजेपी ने इस बार उन्हें विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया है. सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी के लिए तकरीबन 22 प्रतिशत आदिवासी वोट बैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. इसी वजह से फग्गन सिंह कुलस्ते को भी आदिवासी वर्ष से अगले सीएम की दौड़ में शामिल बताया जा रहा है. प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए 47 सीटें तो सुरक्षित हैं. इसके अलावा 35 अन्य सीटों पर भी आदिवासी वोट निर्णायक स्थिति में हैं.


इसी आधार पर बीजेपी ने अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य को भी चुनाव मैदान में उतार दिया है. अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के लिए आरक्षित 35 सीटें को ध्यान में रखकर पार्टी ने उनके चेहरे को आगे किया हैं. तकरीबन 22% अनुसूचित जाति के वोटो को साधने के लिए लाल सिंह आर्य पार्टी का बड़ा चेहरा हो सकते हैं.


वैसे, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव भी इशारों-इशारों में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपना दावा ठोक चुके हैं. अब देखना होगा कि मतदाता सीएम फेस के लिए कोई एक नाम न होने से भ्रमित होगा अथवा अपनी जाति-वर्ग के नेता को सीएम की कुर्सी पर बैठने का सपना बुनते हुए 17 नवम्बर को वोट करेगा.


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